देश के कई हिस्सों में इस त्यौहार का बहुत महत्व है। यह दिन भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का प्रथम वास्तुकार या इंजीनियर माना जाता है, इसलिए लोग अपने कार्यस्थलों, दुकानों, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में उनकी पूजा करते हैं ।इस अवसर पर विभिन्न उद्योगों में कारीगरों, इंजीनियरों और श्रमिकों के कौशल और शिल्प कौशल का जश्न मनाया जाता है।
इस दिन का महत्व
• दिव्य वास्तुकार:
भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड के दिव्य वास्तुकार और निर्माता के रूप में पूजा जाता है और हिंदू पौराणिक कथाओं में द्वारका शहर और देवताओं के महलों सहित महादेव का त्रिशूल, सुदर्शन चक्र और कई अन्य दिव्य अस्त्रों का निर्माण किया था।
विभिन्न चमत्कारों का निर्माण किया गया है।
• शिल्प कौशल का उत्सव:
यह दिन कुशल श्रम, शिल्प कौशल और इंजीनियरिंग का जश्न मनाने के लिए समर्पित है।
• औजारों और मशीनों की पूजा:
इंजीनियर, कारीगर और औद्योगिक श्रमिक अपने काम में सुरक्षा, समृद्धि और निरंतर सफलता के लिए आशीर्वाद मांगने हेतु अपने औजारों, यंत्रों और मशीनों की पूजा करते हैं।
• शुभ दिन:
यह दिन सभी प्रकार के रचनात्मक कार्यों और नवाचार के लिए शुभ माना जाता है।