रंग पंचमी का त्यौहार होली के पांच दिनों की अवधि के ठीक बाद मनाया जाता है । रंग पंचमी का उत्सव रंगों के त्यौहार से जुड़ा एक और उत्सव है। इस विशेष दिन पर लोग रंगीन पानी से खेलते है और बहुत खुशी और उत्साह के साथ इसे मनाते है।
देश के कुछ विशिष्ट भागों में, रंग पंचमी होली समारोह के जैसा ही एक और दिन है। महाराष्ट्र में, यह मछुआरा समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि वे इस त्यौहार को शिमगो के नाम से मनाते है। बहुत सारे नाच-गाने के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों और उत्तरी भारत के अन्य हिस्सों में यह त्यौहार अत्यधिक पूजनीय है और बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।
रंग पंचमी का महत्व
रंग पंचमी का दिन पूरे देश में एक प्रमुख उत्सव है। होली की तरह ही यह त्यौहार भी मस्ती, खुशियों और रंगों से भरा हुआ है। हिंदू लोगों के लिए, यह दिन एक महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि यह माना जाता है कि होलिका दहन की पवित्र अग्नि में लोग सभी प्रकार के तामसिक और राजसिक तत्वों से शुद्ध हो जाते है। वातावरण सकारात्मकता से भर जाता है और एक सकारात्मक आभा सभी को घेर लेती है। पवित्र ज्वाला रंगों के माध्यम से देवताओं का आह्वान करने में मदद करती है। इसलिए, रंग पंचमी शुद्धि के आनंद को व्यक्त करने का उत्सव है।
हिंदू पौराणिक कथाओं और शास्त्रों के अनुसार, रंग पंचमी का त्यौहार तामसिक गुण और राजसिक गुण पर सत्त्व गुण की जीत का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि आध्यात्मिक विकास के मार्ग में जो बाधाएँ हैं, वे जल्द ही समाप्त हो जाएंगी। इस खास दिन पर लोग अपने परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ रंग से खेलते है। भक्त भगवान कृष्ण और राधा देवी की पूजा और अर्चना भी करते है। विभिन्न पूजा अनुष्ठान भी किये जाते है, जो भक्तों द्वारा देवताओं के सम्मान में रखे जाते है।
रंग पंचमी क्यों मनाई जाती है ?
रंग पंचमी का त्यौहार हर्षोल्लास से पूरे देश में मनाया जाता है। यह त्यौहार भी होली की तरह रंगों के साथ मनाया जाता है। रंग पंचमी का हिंदूओं के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व है। रंग पंचमी उत्सव मनाने का मुख्य उद्देश्य ‘पंच तत्व’ या ब्रह्मांड का निर्माण करने वाले पांच तत्वों को सक्रिय करना है। ये पांच तत्व पृथ्वी, प्रकाश, जल, आकाश और वायु है। माना जाता है कि मानव शरीर भी पंचतत्वों से बना है। रंग पंचमी का त्यौहार इन पांच मूल तत्वों को सक्रिय करता है, जिससे जीवन में संतुलन आता है।
रंग पंचमी कहाँ मनाई जाती है ?
रंग पंचमी महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश में मनाई जाती है। इस दिन लोग रंगों से खेलते है। महाराष्ट्रीयन पूरन पोली जैसे पारंपरिक व्यंजनों को पकाते है। राजस्थान में, जैसलमेर मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों और रंगों के साथ पारंपरिक खेलों के आयोजन के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। वहीं, मध्यप्रदेश में इसे बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लोग आम तौर पर रंग पंचमी को गुलाल, लोक नृत्य, संगीत आदि के साथ मनाते है।
रंग पंचमी का इतिहास
शास्त्रों के अनुसार रंग पंचमी का इतिहास काफी पुराना है। प्राचीन काल से ही होली का त्यौहार कई दिनों तक मनाया जाता था, जो होलिका दहन के दिन से शुरू होकर रंग पंचमी के दिन समाप्त होता था और इस दिन के बाद रंग से नहीं खेला जाता था। मान्यताओं के अनुसार इस दिन सच्चे मन से पूजा-पाठ करने से भगवान प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते है। इस दिन पूजा करने से कुंडली में मौजूद बड़े से बड़े दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन श्री कृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी इसलिए इस दिन श्री कृष्ण और राधा रानी को भी रंग अर्पित किया जाता है। यदि कोई प्रेमी युगल इस दिन राधा-कृष्ण को रंग चढ़ाते है तो उनके जीवन में प्रेम गंगा हमेशा प्रवाहित रहती है। इसके अलावा कई क्षेत्रों में इस दिन शोभा यात्रा भी निकाली जाती है।
होली और रंग पंचमी में अंतर
होली महोत्सव फाल्गुन के चंद्र महीने की अंतिम पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आम तौर पर मार्च के अंत में होता है। रंग पंचमी का उत्सव भी होली के त्यौहार की तरह ही रंगो द्वारा खेला जाता है। रंग पंचमी एक हिंदू त्यौहार है, जो होली के रंगीन त्यौहार के ठीक पांच दिन बाद मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के ‘फाल्गुन‘ महीने के दौरान कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के घटते चरण) की ‘पंचमी’ को मनाया जाता है, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर में यह घटना फरवरी-मार्च के महीनों से मेल खाती है।