देश को अंग्रेजी हुकूमत से मुक्त कराने के लिए सबसे पहले अंग्रेजों से बगावत करने वाले देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी शहीद मंगल पांडेय थे। और संपूर्ण भारत वर्ष में मंगल पांडे की स्वतंत्रता सेनानी की खबर ऐसे फैली थी जैसे कि जंगल में आग।
मंगल पांडे के द्वारा शुरू किया गया यह स्वतंत्रता संग्राम अंग्रेजों ने रोकने का काफी प्रयत्न किया, परंतु मंगल पांडे को देखकर संपूर्ण भारतवर्ष के नागरिकों के मन में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध क्रांतिकारी की भावना जागरूक हो चुके थीं।
मंगल पांडे के द्वारा स्वतंत्रता संग्राम शुरू करने के बाद से भारत वर्ष में बहुत से ऐसे वीर क्रांतिकारी पैदा हुए, जिन्होंने भारतवर्ष की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया
मंगल पांडे का जन्म
मंगल पांडे का जन्म बिहार के बलिया जिले के नगवा नामक गांव में हुआ था। वर्तमान समय में यह स्थान उत्तर प्रदेश के ललितपुर के पास में स्थित है। मंगल पांडे का जन्म 1827 19 जुलाई को हुआ था। इनके पिता जी का नाम दिवाकर पांडे और इनकी माता जी का नाम अभय रानी था। मंगल पांडे एक ब्राह्मण परिवार से संबंधित है। मंगल पांडे हिंदुत्व का अनुसरण करते हैं।
मंगल पांडे साल 1849 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा बनाई गई आर्मी में भर्ती हुए और इन्हें पहली पोस्टिंग 34वी बंगाल नेटिव इन्फेंट्री में पैदल सेना में सिपाही के तौर पर मिली।
भारतीय लोगों के प्रति अंग्रेजों के क्रूरता भरे व्यवहार से मंगल पांडे के मन में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ नफरत के बीज पनपने लगे और इसके पश्चात जब अंग्रेजी कंपनी की सेना की बंगाल इकाई में एनफील्ड p.53 राइफल में नई कारतूस का इस्तेमाल किया जाना प्रारंभ हुआ तो मंगल पांडे के द्वारा इन कारतूस का इस्तेमाल करने से मना कर दिया गया।
जिसके पीछे वजह यह थी कि कुछ लोगों ने ऐसी खबर फैला दी थी कि इन कारतूस को तैयार करने में सूअर और गाय की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है। इस प्रकार से हिंदू और मुसलमान दोनों ही सैनिकों के लिए यह धर्म का विषय बन गया।
इस अफवाह की वजह से हिंदू और मुसलमान दोनों ही लोगों के मन में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भयंकर आक्रोश पैदा हो गया। इसके पश्चात साल 1857 में 9 फरवरी के दिन जब यह कारतूस भारतीय सैनिकों को बांटे गए तो उन्होंने इसे इस्तेमाल करने से मना कर दिया जिसमें सबसे आगे मंगल पांडे थे।
मंगल पांडे की मनाही से गुस्साए हुए अंग्रेज अफसर ने मंगल पांडे के हथियार उनसे छीन लिए और उनसे वर्दी उतारने के लिए भी कह दिया परंतु मंगल पांडे अपनी बात से जरा भी नहीं हटे और मंगल पांडे के द्वारा अंग्रेजी अधिकारी पर हमला कर दिया गया।
इस प्रकार से मंगल पांडे ने 1857 में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बैरकपुर छावनी में 29 मार्च को बजा दिया गया। मंगल पांडे के द्वारा आगे बढ़े हुए अंग्रेजी अधिकारी की हत्या भी कर दी गई। इसके बाद मंगल पांडे ने एक और क्रूर और अत्याचारी अंग्रेजी अधिकारी लेफ्टिनेंट बोब की भी हत्या कर दी गई।
इस घटना के पश्चात अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा मंगल पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया और कोर्ट मार्शल का मुकदमा चला कर के उन्हें फांसी की सजा सुना दी गई और 8 अप्रैल साल 1857 में उन्हें फांसी दे दी गई।
समय से 10 दिन पहले ही दे दी गई फांसी
अंग्रेजों को डर था कि मंगल पांडे ने विद्रोह की जो चिंगारी जलाई है वह देशभर में कहीं ज्वाला न बन जाए। इसलिए तय तारीख से 10 दिन पहले ही 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को फांसी दे दी गई। उनकी फांसी के बाद मेरठ, कसौली, कांगड़ा, धर्मशाली समेत देशभर में कई जगहों पर सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया और आम लोगों में अंग्रेजों के प्रति आक्रोश बढ़ने लगा।
मंगल पांडे को फांसी देने के सिर्फ 1 महीने के पश्चात ही उत्तर प्रदेश के मेरठ की सैनिक छावनी में 10 मई को भयंकर बगावत हो गई और देखते ही देखते पूरे भारत देश में अंग्रेजों के खिलाफ लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। लोगों ने सामूहिक रूप से कई अंग्रेज अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया।
मंगल पांडे से जुड़े रोचक तथ्य
1- मंगल पांडे ने 29 मार्च 1857 को ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह की योजना बनाई थी और आजादी की लड़ाई का अलख जगाया था.
2- साल 1849 में मंगल पांडे ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए थे.
3- पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सिपाही के रूप में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री रेजिमेंट में शामिल हुए थे.
4- मंगल पांडे साल 1949 में बंगाल सेना में शामिल हुए और वे रेजिमेंट की 5वीं कंपनी में एक निजी सैनिक थे.
5- 29 मार्च 1857 को उत्तरी कोलकाता के बैरकपुर में मंगल पांडे ने ब्रिटिश अधिकारियों पर हमला कर दिया.
6- भारत सरकार ने 1984 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए एक स्मारक डाट टिकट जारी किया था. यह भी पढ़ें: मंगल पांडे जन्मदिन विशेष: 1857 में जिसने हिला दी थी बरतानिया सरकार की नींव, जल्लादों ने फांसी देने से कर दिया था इनकार
7- मंगल पांडे के नेतृत्व में होने वाली घटनाओं को दर्शाने के लिए एक फिल्म बनाई गई. 'मंगल पांडे:द राइजिंग' नाम की फिल्म 12 अगस्त 2005 को रिलीज हुई थी.
8- आधुनिक भारतीय राष्ट्रवादियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने की साजिश के पीछे मंगल पांडे को मास्टरमांड बताया था.
9- अंग्रेजों के खिलाफ मंगल पांडे द्वारा शुरु किए गए 1857 के विद्रोह में देश के विभिन्न हिस्सों से भारतीय सैनिकों ने हिस्सा लिया था.
10-मंगल पांडे ने ”फिरंगी मारो” का नारा भी दिया
11- मंगल पांडे की गिरफ्तारी के बाद उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई और 8 अप्रैल 1857 को फांसी पर लटका दिया गया.
12-पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं