महानायक-अमिताभ बच्चन जी का जन्मदिन | The Voice TV

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बड़ा बनना है तो दूसरों को उठाना सीखो, गिराना नहीं - अज्ञात

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महानायक-अमिताभ बच्चन जी का जन्मदिन

Date : 11-Oct-2022

(1) तुम लोग मुझे वहां ढूंढ रहे हो मैं तुम लोगों का यहां इंतजार कर रहा हूं,

(2) देखो,ये देखो जिसने आज तक किसी के सामने सर नहीं झुकाया आज तुम्हारे सामने सर झुकाए खड़ा है,

(3) देखो अनिता,मुझे छोड़के मत जाना, मैं तुम्हारे बगैर बिल्कुल अकेला हो जाऊंगा, मैं तुम्हें मरने नहीं दूंगा, अनिता
 
(4) मेरा बाप तो पहले ही मर चुका था अनिता, आज तो उसे जलाया गया है...........
 
फिल्म 'दीवार' (1975) के ये डायलॉग अमिताभ बच्चन जैसे महानायक के लिए ही लिखे गए जो काल ज यी बन गए l ऐसा लगता है जैसे अमिताभ ही केवल ऐसा इन शब्दों के अंदाज में बोल सकते थे , बकौल मनमोहन देसाई पूरी इंडस्ट्री में एक ही मर्द कलाकार है वह है अमिताभ, राजकुमार में भी डायलॉग की एक जादुई अदा थी लेकिन फाइट सीन राजकुमार में उतने प्रभावशाली नहीं रहे,शत्रुघ्न सिन्हा की आवाज में चिल्लाहट थी, विनोद खन्ना का शरीर गठीला था लेकिन उनकी आवाज नरम रही, अमिताभ का एक्सप्रेशन तथा कॉलर पकड़ने की स्टाइल ,संवाद अदायगी की गहराई अपने आप में ना या ब है, दिल कहता है कि तुम यहीं हो यहीं हो ...यहीं कहीं हो ,'सिलसिला' में अमिताभ की यह रोमांटिक अदा रेखा के साथ दर्शकों को भी बेपलक झपकाए इस सीन को देखने के लिए मजबूर कर देती है ,अमिताभ बढ़ते वक्त के साथ और भी आकर्षक होते जा रहे लगते हैं, विख्यात संवाद लेखक सलीम खान कहते हैं कि शरीर मजबूत न होने के बावजूद अमिताभ का आत्म विश्वास परदे पर उनके रोल को जीवंत कर देता था, वैसा कॉन्फिडेंस अमिताभ जैसे महान कलाकारों में ही दिखता है, दीवार का अमिताभ अपनी हर बाजी अपनी मौत पर खेलता है, लेकिन हमेशा जीतकर ही लेकिन अपनी प्रेमिका अनिता की मौत के बाद वह अपनी अंतिम चाल चलता है लेकिन उसका बिल्ला गिर जाता है तथा उसकी मौत हो जाती है, शायद मौत से सीधी जंग आदमी के अंदर का डर खत्म कर देती है l
लेकिन अमिताभ की कामयाबी दो लोगों के बगैर अधूरी है एक उनकी धर्मपत्नी जया बच्चन जिन्होंने उनके हर निराशा के पल पर उनका भरपूर साथ दिया , यहां तक कि कुली फिल्म की शूटिंग के बाद जब वे मरणासन्न थे ,उम्मीदें खात्मे के कगार पर थीं तब उनके शरीर में चेतना को सबसे पहले जया जी ने ही महसूस किया,शायद यह जया के सच्चे प्यार का ही नतीजा था रेखा केवल सखी की भूमिका तक ही सीमित रह गईं, दूसरी सलीम जावेद जैसी लेखक जोड़ी के कलम से निकले युगांतकारी शब्द जिन्होनें शोले, दीवार, त्रिशूल, जंजीर जैसी ऐतिहासिक फिल्में का ऐसा सफल इतिहास रचा जिन्होनें अमिताभ बच्चन को अविस्मरणीय स्टार बना दिया |
आज बिग स्टार अपने अस्सी वर्ष पूरे कर चुके हैं, उनके शतायु होने की शुभकामनाएं‍‍ , आप हमारा स्वस्थ मनोरंजन करते रहें|

 
लेखक - सतेंद्र मिश्रा 
 
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