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सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने सोशल मीडिया के प्रस्तावित विधेयक का किया विरोध

Date : 10-Feb-2025


काठमांडू, 10 फ़रवरी । नेपाल के केपी ओली की सरकार के सोशल मीडिया को नियंत्रण और नियमन करने के लिए संसद में पेश किए गए विधेयक का कई सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने विरोध किया है।

ओली सरकार को समर्थन कर रहे सबसे बड़े राजनीतिक दल नेपाली कांग्रेस की तरफ से ही इस प्रस्तावित विधेयक का खुलकर विरोध होने लगा है। पार्टी के महामंत्री गगन थापा ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया को नियमन करने के नाम पर जिस तरह का विधेयक संसद में पेश किया गया है, वह उसी रूप में पारित नहीं हो सकता है।

काठमांडू में पत्रकार सम्मेलन में कांग्रेस महामंत्री थापा ने कहा कि इस विधेयक में कई सुधार करने की आवश्यकता है। यदि सरकार इस विधेयक के कुछ आपत्तिजनक प्रावधानों को बदलने के लिए तैयार होती है तो ही इसका समर्थन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के नियमन के नाम पर लोगों के लिखने-बोलने की स्वतंत्रता को नियंत्रित करना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

सिर्फ सरकार को समर्थन कर रही पार्टी ही इसका विरोध नहीं कर रही है बल्कि इसके विरोध में स्वयं ओली की पार्टी के सांसद ने भी मोर्चा खोल दिया है। पार्टी में ओली के आलोचक रहे सांसद रघुजी पंत ने भी इस विधेयक का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि आम जनता के मौलिक अधिकार के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने इस विधेयक को लाने वाले अपने ही पार्टी के मंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि सोशल मीडिया को भी नियमों के दायरे में लाया जाना ठीक है लेकिन इसकी आड़ में एक भी जनता की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने के किसी भी प्रयास का वो व्यक्तिगत रूप से विरोध करेंगे। पंत ने कहा कि इस विधेयक में सुधार की काफी गुंजाइश है और सरकार को इसका पुनरावलोकन करना ही होगा।

सरकार को समर्थन करने वाली छोटी पार्टियां भी इस विधेयक के खिलाफ में कई संशोधन प्रस्ताव पेश कर चुकी है। जनमत पार्टी के सांसद अब्दुल खान ने कहा कि सरकार के खिलाफ लिखने और बोलने वालों को जो सजा का प्रावधान रखा गया है, उसको बदलने के लिए संशोधन प्रस्ताव पेश किया गया है।

सरकार ने पिछल दिनों सभी प्रकार के सोशल मीडिया पर लिखने, बोलने, कंटेंट बनाने, कमेंट करने से लेकर लाइक और शेयर करने वालों तक को कानूनी दायरा में लाते हुए झूठ, अफवाह, गलत समाचार, ग़लत कंटेंट, सरकार की आलोचना करना और ट्रोल करने वालों के खिलाफ तीन से पांच साल तक की सजा और अधिकतम पांच लाख रुपये तक के जुर्माना लगाने का कानून बनाने के लिए यह विधेयक संसद में पेश किया है।

 
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