नई दिल्ली, 25 दिसंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि बीते कुछ वर्षों में हमने स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी कई बड़ी चुनौतियों पर विजय पाई है। "सबका प्रयास" की इसी भावना के साथ हम कालाजार और टीबी उन्मूलन की दिशा में भी काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 96वीं कड़ी में कहा कि हमने भारत से चेचक, पोलियो और 'गिनी वर्म' जैसी बीमारियों को समाप्त करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि इसका पूरा श्रेय हमारे चिकित्सा विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और देशवासियोँ की इच्छाशक्ति को जाता है।
उन्होंने कहा, “आज, ‘मन की बात’ के श्रोताओं को, मैं, एक और चुनौती के बारे में बताना चाहता हूं, जो अब, समाप्त होने की कगार पर है। ये चुनौती, ये बीमारी है ‘कालाजार’। इस बीमारी का परजीवी, बालू मक्खी के काटने से फैलता है। जब किसी को ‘कालाजार’ होता है तो उसे महीनों तक बुखार रहता है, खून की कमी हो जाती है, शरीर कमजोर पड़ जाता है और वजन भी घट जाता है। यह बीमारी, बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी को भी हो सकती है लेकिन सबके प्रयास से, ‘कालाजार’ नाम की ये बीमारी अब तेजी से समाप्त होती जा रही है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ समय पहले तक, कालाजार का प्रकोप, 4 राज्यों के 50 से अधिक जिलों में फैला हुआ था लेकिन अब ये बीमारी, बिहार और झारखंड के 4 जिलों तक ही सिमटकर रह गई है। मुझे विश्वास है कि बिहार-झारखंड के लोगों का सामर्थ्य, उनकी जागरूकता, इन चार जिलों से भी ‘कालाजार’ को समाप्त करने में सरकार के प्रयासों को मदद करेगी। ‘कालाजार’ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों से भी मेरा आग्रह है कि वो दो बातों का जरूर ध्यान रखें। एक है- या बालू मक्खी पर नियंत्रण और दूसरा, जल्द से जल्द इस रोग की पहचान और पूरा इलाज। ‘कालाजार’ का इलाज आसान है, इसके लिए काम आने वाली दवाएं भी बहुत कारगर होती हैं। बस, आपको सतर्क रहना है। बुखार हो तो लापरवाही ना बरतें और बालू मक्खी को खत्म करने वाली दवाइयों का छिड़काव भी करते रहें। जरा सोचिए, हमारा देश जब ‘कालाजार’ से भी मुक्त हो जाएगा तो ये हम सभी के लिए कितनी खुशी की बात होगी।
उन्होंने कहा कि सबका प्रयास की इसी भावना से हम, भारत को 2025 तक टी.बी. मुक्त करने के लिए भी काम कर रहे हैं। बीते दिनों जब टी.बी. मुक्त भारत अभियान शुरू हुआ तो हजारों लोग टी.बी. मरीजों की मदद के लिए आगे आए। ये लोग निक्षय मित्र बनकर टी.बी. के मरीजों की देखभाल कर रहे हैं, उनकी आर्थिक मदद कर रहे हैं। जनसेवा और जनभागीदारी की यही शक्ति, हर मुश्किल लक्ष्य को प्राप्त करके ही दिखाती है।