नई दिल्ली, 30 मई । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में कंबोडिया के राजा नोरोडोम सिहामोनी से मुलाकात की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि इस दौरान दोनों नेताओं के बीच भारत और कंबोडिया के बीच सांस्कृतिक और सभ्यतागत जुड़ाव को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई। साथ ही विकास सहयोग और लोगों से लोगों के संबंधों को बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की गई।
इससे पहले राजा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच राष्ट्रपति भवन में ही मुलाकात हुई। इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की गई और क्षमता निर्माण, मानव संसाधन विकास, पर्यटन, संस्कृति और रक्षा के क्षेत्र में भारत-कंबोडिया साझेदारी को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा हुई। इसके अलावा क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया गया।
कंबोडिया के राजा नोरोडोम सिहामोनी भारत की अपनी पहली तीन दिवसीय आधिकारिक राजकीय यात्रा पर कल नई दिल्ली पहुंचे थे। राजा नोरोडोम सिहामोनी का आज सुबह राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया। उनके सम्मान में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उनके सम्मान में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में रात्रि भोज दिया है।
राजा से सुबह पहले विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर और बाद में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मुलाकात की।
उपराष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा कि उनके बीच द्विपक्षीय संबंधों और आपसी हित के अन्य मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई। क्षमता निर्माण, वास्तुशिल्प स्मारकों के संरक्षण, डी-माइनिंग और संसदीय सहयोग सहित रक्षा सहयोग सहित द्विपक्षीय संबंधों के कई क्षेत्रों पर चर्चा हुई।
वहीं विदेश मंत्री ने मुलाकात के बाद ट्वीट कर कहा कि हमारे दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, उनकी यात्रा हमारे बीच मजबूत सभ्यतागत बंधन की पुष्टि करती है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, कंबोडिया के राजा नोरोडोम सिहामोनी की आगामी यात्रा भारत और कंबोडिया के बीच सभ्यतागत संबंधों को और मजबूत और गहरा करेगी। भारत कंबोडिया को मंदिरों के जीर्णोद्धार और लैंडमाइंस हटाने में सहायता कर रहा है।
मंत्रालय के अनुसार उनकी राजकीय यात्रा भारत और कंबोडिया के बीच राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ के समारोह की परिणति का प्रतीक है, जो 1952 में स्थापित हुए थे। कंबोडिया के राजा की यह यात्रा लगभग छह दशकों के बाद हो रही है। इससे पहले उनके पिता 1963 में भारत आए थे।