सोशल मीडिया पर इन दिनों OpenAI के ChatGPT 4o की मदद से Ghibli स्टाइल में बनाई गई तस्वीरों की धूम मची हुई है। लोग अपनी और अपने परिवार की तस्वीरों को इस स्टाइल में बदलवाने के लिए AI के साथ शेयर कर रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके साथ जुड़ा एक बड़ा खतरा भी है? लोग अपनी तस्वीरें और डेटा AI कंपनियों के साथ साझा कर रहे हैं, जिससे उनका फेशियल रिकॉग्निशन भी इन कंपनियों के पास जा रहा है।
फेशियल रिकॉग्निशन का बढ़ता खतरा
यह सिर्फ Ghibli स्टाइल की तस्वीरों तक सीमित नहीं है। हर रोज, हम AI कंपनियों को अपनी तस्वीरें दे रहे हैं। चाहे वह फोन अनलॉक करने के लिए हो, सोशल मीडिया पर फोटो शेयर करने के लिए, या किसी ऐप की सर्विस का उपयोग करने के लिए। जब हम ऐप्स को कैमरा एक्सेस देते हैं, तो AI कंपनियां हमारे चेहरे के यूनिक डाइमेंशन्स को स्कैन करके स्टोर कर सकती हैं, और यह जानकारी पासवर्ड या क्रेडिट कार्ड नंबर से भी अधिक खतरनाक हो सकती है, क्योंकि हम इसे बदल नहीं सकते।
हमें क्यों सतर्क रहना चाहिए?
भारतीयों की आदत है कि वे इस तरह के खतरों को हल्के में लेते हैं। इस आदत के कारण, कई घटनाओं को नजरअंदाज किया गया, जो हमें इस खतरे से जागरूक कर रही थीं। Clearview AI कंट्रोवर्सी इसका एक उदाहरण है, जहां कंपनी ने बिना अनुमति के सोशल मीडिया और पब्लिक रिकॉर्ड्स से करोड़ों तस्वीरें चुराकर एक डेटाबेस तैयार किया, जिसे पुलिस और प्राइवेट कंपनियों को बेचा गया। इसी तरह, ऑस्ट्रेलियाई कंपनी Outabox के डेटा लीक के बाद लाखों लोगों के फेशियल स्कैन और अन्य संवेदनशील जानकारी चोरी हुई।
फेसियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का बढ़ता बाजार
Statista के अनुसार, फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (FRT) का बाजार 2025 तक 5.73 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, और 2031 तक यह 14.55 बिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है। बड़ी कंपनियां, जैसे मेटा और गूगल, अक्सर यूजर्स की तस्वीरों से अपने AI मॉडल्स को ट्रेन करती हैं, लेकिन वे इस बारे में पूरी जानकारी साझा नहीं करतीं। इसी तरह, PimEyes जैसी साइट्स किसी की भी तस्वीर से उन्हें ऑनलाइन ढूंढने की सुविधा देती हैं, जिससे स्टॉकिंग का खतरा बढ़ जाता है।
इस खतरे से कैसे बचें?
अगर आप इस खतरे से बचना चाहते हैं तो सबसे पहले तो Ghibli स्टाइल में अपनी तस्वीरें AI के साथ शेयर करना बंद करें। सोशल मीडिया पर हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें अपलोड करने से बचें, और फेस अनलॉक के बजाय पिन या पासवर्ड का इस्तेमाल करें। इसके अलावा, सरकार और कंपनियों पर दबाव बनाना चाहिए कि वे यह बताएं कि आपका बायोमेट्रिक डेटा कैसे इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि, यह अस्थायी समाधान हो सकते हैं। असली बदलाव तभी आएगा जब सरकारें Facial Recognition Technology के गैर-कानूनी इस्तेमाल पर रोक लगाएंगी और AI पर कड़े नियम बनाए जाएंगे।