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गूगल ने चिली की LATAM एयरलाइंस के खिलाफ अमेरिकी अदालत में दायर किया मुकदमा,

Date : 14-Jun-2025

गूगल ने गुरुवार को अमेरिका की एक संघीय अदालत में चिली स्थित LATAM एयरलाइंस के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। इस मुकदमे में गूगल ने अदालत से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि ब्राजील की अदालतों को यह अधिकार नहीं है कि वे अमेरिका में यूट्यूब पर उपलब्ध किसी वीडियो को हटाने का आदेश दें।

यह मामला एक संवेदनशील यौन शोषण से जुड़ा है, जिसमें LATAM के एक कर्मचारी पर एक बच्चे के यौन उत्पीड़न का आरोप है। यूट्यूब पर आरोपों को उजागर करने वाले दो वीडियो अमेरिकी नागरिक रेमंड मोरेरा द्वारा 2018 में अपलोड किए गए थे। उनके अनुसार, यह घटना उस समय की है जब उनका 6 वर्षीय बेटा अकेले यात्रा कर रहा था और कथित तौर पर एक LATAM कर्मचारी द्वारा दुर्व्यवहार का शिकार हुआ।

मोरेरा ने 2020 में फ्लोरिडा में LATAM के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की थी, जो एक गोपनीय समझौते पर समाप्त हुई। हालांकि, LATAM ने 2018 में ब्राजील में गूगल पर मुकदमा दायर कर यूट्यूब से इन वीडियो को हटाने की मांग की थी। अब ब्राजील की एक अपीलीय अदालत यह तय करने वाली है कि क्या उसे दुनिया भर से इन वीडियो को हटाने का अधिकार है।

गूगल ने अपने मुकदमे में दलील दी है कि LATAM ब्राजील की अदालत के आदेश के ज़रिए अमेरिकी संविधान में संरक्षित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है। कंपनी का कहना है कि अलग-अलग देशों की अदालतों को केवल अपने क्षेत्र में सामग्री को नियंत्रित करने का अधिकार होना चाहिए, न कि वैश्विक स्तर पर।

गूगल के प्रवक्ता जोस कास्टानेडा ने कहा, "हम लंबे समय से इस कानूनी सिद्धांत का समर्थन करते आए हैं कि किसी देश की अदालतों को केवल उस देश में उपलब्ध सामग्री पर अधिकार होना चाहिए।"

LATAM एयरलाइंस ने कहा है कि उसे अभी तक इस मुकदमे के बारे में कोई औपचारिक सूचना प्राप्त नहीं हुई है।

इस मामले की पृष्ठभूमि में दक्षिणपंथी सोशल मीडिया कंपनियों ट्रंप मीडिया और रंबल द्वारा इसी वर्ष फ़रवरी में दायर एक मुकदमा भी है, जिसमें उन्होंने फ्लोरिडा की अदालत में ब्राज़ील के एक न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी थी। उस मामले में अदालत ने स्पष्ट किया था कि अमेरिकी कंपनियों को ब्राज़ील के आदेश का पालन करने की आवश्यकता नहीं है।

गूगल का यह मुकदमा भी इसी कानूनी सिद्धांत पर आधारित है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिकी कानूनों के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से समझौता न हो।

 
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