क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी: जानिए कैसे काम करती है ‘कृत्रिम बारिश’ और कौन-कौन से देश कर रहे हैं इसका इस्तेमाल | The Voice TV

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क्लाउड सीडिंग टेक्नोलॉजी: जानिए कैसे काम करती है ‘कृत्रिम बारिश’ और कौन-कौन से देश कर रहे हैं इसका इस्तेमाल

Date : 31-Oct-2025

दुनिया भर में अब प्राकृतिक बारिश पर निर्भरता कम होती जा रही है, क्योंकि कई देश मौसम को नियंत्रित करने के लिए क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) जैसी हाई-टेक तकनीक अपना रहे हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बादलों में विशेष रासायनिक पदार्थ — जैसे सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस — छोड़े जाते हैं ताकि बादलों में नमी और बर्फ के क्रिस्टल बन सकें, जिससे कृत्रिम रूप से बारिश कराई जा सके। यह तकनीक सूखा राहत, कृषि सिंचाई, जल प्रबंधन और वायु प्रदूषण नियंत्रण जैसे कई क्षेत्रों में उपयोगी साबित हो रही है।
आइए जानते हैं किन देशों में यह ‘आर्टिफिशियल रेन’ तकनीक सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है

चीन

चीन कृत्रिम बारिश की तकनीक में सबसे आगे है। सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 2025 तक लगभग 55 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को इस प्रोग्राम से कवर किया जाएगा। यहां AI-आधारित मौसम पूर्वानुमान, रॉकेट्स और एयरक्राफ्ट के जरिए क्लाउड सीडिंग की जाती है। इसका उपयोग कृषि, सूखा राहत और बड़े इवेंट्स के दौरान मौसम नियंत्रण में किया जाता है।

संयुक्त अरब अमीरात (UAE)

UAE ने 1982 में क्लाउड सीडिंग प्रोग्राम शुरू किया था। यहां ड्रोन, AI और हाइग्रोस्कोपिक साल्ट फ्लेयर्स की मदद से बादलों में नमी बढ़ाई जाती है। इसका उद्देश्य है बारिश की मात्रा बढ़ाना और रेगिस्तानी इलाकों में नमी बनाए रखना।

अमेरिका (USA)

संयुक्त राज्य अमेरिका में यह तकनीक कैलिफ़ोर्निया, कोलोराडो और टेक्सास जैसे सूखा-प्रवण राज्यों में व्यापक रूप से अपनाई गई है। यहां क्लाउड सीडिंग का प्रयोग बर्फ़ की मात्रा (Snowpack) बढ़ाने, जल आपूर्ति सुधारने और कृषि को सहारा देने के लिए किया जाता है।

भारत

भारत में क्लाउड सीडिंग का प्रयोग मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में होता है। इसका उद्देश्य सूखे से राहत और कृषि सिंचाई में मदद करना है। हाल ही में IIT कानपुर ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सिल्वर आयोडाइड फ्लेयर्स के साथ दो ट्रायल किए, हालांकि इनसे बारिश नहीं हो पाई।

थाईलैंड

थाईलैंड ने 1950 के दशक में ‘Royal Rainmaking Project’ की शुरुआत की थी। यह दुनिया के सबसे पुराने और सफल क्लाउड सीडिंग प्रोग्रामों में से एक है। इसका उपयोग कृषि उत्पादन बढ़ाने, प्रदूषण घटाने और जल प्रबंधन के लिए किया जाता है।

रूस

रूस में क्लाउड सीडिंग का उपयोग केवल बारिश कराने के लिए ही नहीं, बल्कि जंगल की आग बुझाने, कृषि सुधार और जल प्रबंधन के लिए भी किया जाता है। देश के शुष्क इलाकों में यह तकनीक जलवायु संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।

ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया में इस तकनीक का प्रयोग हाइड्रोपावर उत्पादन, कृषि और जल संरक्षण के लिए किया जा रहा है। सूखे मौसम में यह तकनीक जल उपलब्धता बढ़ाने में मदद करती है।

सऊदी अरब

सऊदी अरब ने 2022 में पहली बार क्लाउड सीडिंग प्रोग्राम शुरू किया। इसका उद्देश्य है रेगिस्तानी क्षेत्रों में नमी बढ़ाना, डेजर्टिफिकेशन (Desertification) को रोकना और जल संसाधनों में सुधार लाना।

इंडोनेशिया

इंडोनेशिया में क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल बारिश के मौसम में बाढ़ नियंत्रण और जल संसाधन प्रबंधन के लिए किया जाता है। सरकार नियमित रूप से इस तकनीक का इस्तेमाल करती है ताकि मौसमी असंतुलन को नियंत्रित किया जा सके।

क्लाउड सीडिंग अब सिर्फ एक प्रयोगात्मक तकनीक नहीं रही, बल्कि यह कई देशों के लिए मौसम प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण का अहम हिस्सा बन चुकी है। आने वाले वर्षों में कृत्रिम वर्षा तकनीक वैश्विक जल संकट और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में बड़ी भूमिका निभा सकती है।

 
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