600 साल पुराने एतिहासिक गुदरिया मेला | The Voice TV

Quote :

कृतज्ञता एक ऐसा फूल है जो महान आत्माओं में खिलता है - पोप फ्रांसिस

Travel & Culture

600 साल पुराने एतिहासिक गुदरिया मेला

Date : 05-Dec-2023

 जनपद के एक बड़े कस्बे में छह सौ साल पुराने गुदरिया बाबा के मेले की तैयारियां अब शुरू हो गई है। सात दिनों तक चलने वाले इस एतिहासिक मेले में खेल, तमाशा समेत अन्य कार्यक्रमों की धूम मचेगी। हिन्दु मुस्लिम एकता के प्रतीक एक मेले में टूटी फूटी बोली भाषा में रामलीला का मंचन भी होगा जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ भी उमड़ती है।

जिले के मुस्करा कस्बे में हिन्दु मुस्लिम एकता का प्रतीक गुदरिया बाबा रौरों मेला का इतिहास छह सौ साल पुराना है। जो हर साल अगहन सुदी छठ से खेल तमाशों के साथ शुरू होता है। पांच दिनों तक गांव की हर अस्थायी में प्रतिदिन अलग-अलग खेल तमाशे खेले जाते है। छठवें दिन कोतवाली नामक मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। मुस्करा कस्बा निवासी व राष्ट्रीय ग्राम प्रधान संगठन के राष्ट्रीय महासचिव हरस्वरूप व्यास ने बताया कि अमावस्या के बाद सुदी छठ से एतिहासिक मेले का आगाज होगा। जो लगातार सात दिनों तक टूटी फूटी भाषा में कलाकार कार्यक्रम करेंगे।

उन्होंने बताया कि एतिहासिक गुदरिया बाबा रौरों मेले में अलग-अलग किरदारों में हिन्दु और मुस्लिम लोगों बड़ी भूमिका निभाते है। बताया कि कस्बे की 10 अस्थायी जगहों पर कार्यक्रमोंका आयोजन किया जाता है। इसके बाद दो दिनों तक विराट दंगल का आयोजन होगा। एक सप्ताह तक चलने वाले मेले में रात्रि में रामलीला का आयोजन हर साल होता है जिसे देखने के लिये आसपास के तमाम गांवों के लोगों की भीड़ उमड़ती है।

सात दिनों तक गुदरिया के मेले में होंगे खेल तमाशा

मुस्करा के सरपंच महेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि गुदरिया बाबा रौरों का मेला बुन्देलखंड का प्रमुख मेला है जिसे लेकर पूरे क्षेत्र में बड़ा उत्साह लोगों में रहता है। उन्होंने बताया किसात दिवसीय एतिहासिक मेले को लेकर पूरे गांव के लोग मदद करते है। गुदरिया बाबा के मेले में खेल तमाशे के साथ ही बनरा, नागा, कालीस वहकटा, कोतवाली समेत तमाम कार्यक्रमों की धूम मचती है। इसके अलावा रामलीला की टूटी फूटी नकल के रूप में खेल और तमाशे हर साल की तरह इस बार भी होंगे।

शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चुनाई जाएगी चिटियां

ग्राम प्रधान संगठन के राष्ट्रीय महासचिव हरस्वरूप व्यास ने बताया कि मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अमावस्या को एतिहासिक मेले को लेकर शोधन होता है। फिर गांव के सभी जमींदार अस्थायी मालिक एक जगह एकत्र होते है। बताया कि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चिटियां चुनाई जाती है फिर गुदरी में खेल होते ही छठ से तमाशें शुरू हो जाते है। बताया कि एतिहासिक मेले के पहले दिन छठ को नटबिड़िया सप्तमी को चोर, दीवारी, धुबियाई, पमारों के बाद एकादशी के दिन मुख्य कार्यक्रम कोतवाली होगा।

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload










Advertisement