हिमाचल प्रदेश विविधताओं से परिपूर्ण है | यहां के 12 जिलों में अलग-अलग तरह के पोशाक और आभूषणों का प्रचलन है | हिमाचली महिलाएं यहां प्रचलित खास आभूषणों से ही सजरी संवरती हैं, यहां के लोगों की पोशाक बहुत ही सुंदर और जीवंत होती है, इसे कठोर मौसम की स्थिति के हिसाब से बनाया जाता है,राज्य के अलग अलग हिस्सों से राज्य में आने वाले अलग-अलग जातियों के लोगों के लिए अलग-अलग तरह की पोशाक और आभूषणों का प्रचलन है | आज भी हिमाचल में ज्यादातर पोशाक हाथों से बनाई जाती हैं, पोशाक बनाने में मशीनों का उपयोग बेहद कम होता है|
हिमाचली महिलाओं का खास आभूषण
हिमाचल प्रदेश के पहनावों में क्षेत्र के हिसाब से विविधता पाई जाती है, यहां की राजपूत और ब्राह्मण जाति की महिलाओं में खास तरह के आभूषण इस्तेमाल होते हैं | जबकि आदिवासी महिलाओं में चांदी के आभूषणों का खूब प्रयोग होता है| हिमाचल प्रदेश में ब्राह्मण और राजपूत महिलाओं दोनों द्वारा चक नाम के आभूषण का इस्तेमाल किया जाता है, इसे सिर पर धारण किया जाता है, इसके अलावा चंद्रहार का भी प्रयोग महिलाएं करती हैं, यह एक विशेष तरह का हार होता है, इसके अलावा महिलाएं चिरी भी पहनती हैं, ये मांग टीका की तरह होता है, जो महिलाओं की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं, इसके अलावा टोके(कलाई), परी(पैर का हार), झुमका का प्रयोग की महिलाएं अपने आभूषणों में करती हैं |
हिमाचल में मशहूर है पश्मीना शॉल
हिमाचल प्रदेश में वैसे तो कई तरह के शाल बनाए जाते हैं, लेकिन इनमें से पश्मीना शाल सबसे ज्यादा मशहूर है, यह कुल्लू इलाके में बनाई जाती है जो पश्मीरा बकरी के बारों से तैयार ऊन से बुरी जाती है, इस शॉल की मांग दुनियाभर में होती है, इस शॉल की खासियत इसका हल्का वजन है, यह बहुत ही मुलायम होती है |
कुल्लू की शान है यहां की टोपी और शॉल
हिमाचल प्रदेश में वैसे तो कई तरह के पहनावे अलग-अलग क्षेत्रों में प्रचलित हैं, लेकिन बात जब कुल्लू की होती है तो यहां की विशेष टोपी और शाॅल का जिक्र खूब होता है| यहां आज भी पारंपरिक रूप में ज्यादातर लोग टोपी पहनते हैं, पर्यटन भी इस टोपी को बहुत पसंद करते हैं, यह आकार में गोलाकार होता है जिसमें कुछ सुंदर डिज़ाइन होते हैं, जो ऊन या मखमल से बुने जाते हैं, कुल्लू के शॉल की भी खासियत है, यह कई डिजाइन और रंगों में आते हैं |