गुग्गा नृत्य भारत के हरियाणा राज्य में प्रचलित एक अनुष्ठानिक नृत्य है।
भारत के हरियाणा राज्य का गुग्गा नृत्य गुग्गा पीर के सम्मान में किया जाता है। यह केवल पुरुषों द्वारा किया जाता है।
यह संत गुग्गा की स्मृति में निकाले गए जुलूस में किया जाता है। इस प्रदर्शन में, भक्त गुग्गा पीर की समाधि के चारों ओर नृत्य करते हैं और उनके सम्मान और प्रशंसा में विभिन्न प्रकार के गीत गाते हैं। गुग्गा नृत्य विशेष रूप से पुरुष नर्तकों द्वारा किया जाता है।
गुग्गा पीर और उनके भक्त गुग्गा का अर्थ है एक संत। गुग्गा पीर का जन्म भादों नौमी को राजस्थान के बीकानेर
में ददरेवा गाँव में हुआ था और इस दिन को पूरे उत्तर भारत में गुग्गा नौमी के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि गुग्गा एक चौहान राजपूत थे। एक प्रसिद्ध किंवदंती के अनुसार, उनका विवाह कामरूप के राजा संझा की पुत्री कुमारी सिरियाल से हुआ था। गुग्गा पीर की पूजा लगभग पूरे हरियाणा में की जाती है |
गुग्गा नृत्य का प्रदर्शन: गुग्गा नृत्य की चाल बहुत सरल है, लेकिन यह गुग्गा पीर के भक्तों के बीच आध्यात्मिक उत्साह पैदा करता है। नर्तक के पैर उनके गीतों की लय के अनुसार चलते हैं। जैसे-जैसे गति बढ़ती है, वे आंसू बहाते हैं और लोहे की जंजीरों से अपनी छाती पीटते हैं। ये नर्तक भादों के महीने में हरियाणा के गांवों में घूमते हैं। हालांकि यह सरल है, लेकिन यह गुग्गा के भक्तों के बीच आध्यात्मिक समर्पण से भरा माहौल बनाता है।
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