नेपाल में गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े श्रद्धा और पारंपरिक रीति-रिवाज़ों के साथ मनाया गया, विशेषकर नेवार समुदाय द्वारा। इस दिन को वे विशेष पूजा-अर्चना और व्रत के रूप में मनाते हैं, जिसमें घरों और मंदिरों में गणपति की आराधना की जाती है। मान्यता के अनुसार, इस दिन चाँद देखना वर्जित होता है।
पर्व के अवसर पर पारंपरिक नेवारी व्यंजन समयबाजी का विशेष महत्व होता है। इसमें उबला अंडा, तली हुई मछली, भैंस का चोइला, भटमास (भुने हुए सोयाबीन), चटमारी, बरा, चपाती, साग और नेवारी शराब आयला शामिल होते हैं, जिन्हें भगवान को भोग लगाया जाता है।
काठमांडू घाटी के प्रमुख गणेश मंदिरों—अशोक विनायक, चंद्र विनायक, सूर्य विनायक, कमल विनायक और कमलादि गणेश मंदिर—में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ, और गर्भगृह में दर्शन के लिए लंबी कतारें देखी गईं।
नेपाली श्रद्धालु इस दिन बुद्धि, समृद्धि और जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए भगवान गणेश का व्रत रखते हैं और श्रद्धा से पूजा करते हैं।