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Travel & Culture

प्राकृतिक सौंदर्य से दमकता विंध्य क्षेत्र

Date : 18-Apr-2023

 आस्था व प्राकृतिक सौंदर्य से दमकता विंध्य क्षेत्र...। धार्मिक पर्यटन से आर्थिकी को सशक्त करने की योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना विंध्य कॉरिडोर के परिणाम दिखने लगे हैं। यूं तो देश के कई प्रमुख धार्मिक स्थलों के गौरव की पुर्नस्थापना पर कार्य जारी है, लेकिन आस्था केंद्र जगविख्यात आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी धाम के नवस्वरूप ने रोजगार सृजन को गति दी है, जो नए अवसर उपलब्ध कराएगी।

मां विंध्यवासिनी के आंगन में अविस्मरणीय व अलौकिक विंध्य कॉरिडोर श्रद्धालुओं को दिव्य अनुभूति तो कराएगा ही, रोजगार सृजन को भी नई ऊंचाई देगा। होटल, परिवहन, खान-पान, पूजा सामग्री आदि व्यवसायों को मजबूती मिलेगी और पर्यटकों की संख्या बढ़ने से नए लोगों को अवसर मिलेंगे। 331 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कॉरिडोर ने विंध्यधाम की अर्थव्यवस्था को बदल दिया है। इससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो रही है और पर्यटकों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि ने कोरोना काल में हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई भी काफी हद तक कर दी है। यह क्रम और सशक्त होने की उम्मीद है।

प्रतिदिन आ रहे एक लाख श्रद्धालु

अभी प्रतिदिन एक लाख श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी के दर्शन के विंध्यधाम आ रहे हैं। नववर्ष के पहले दिन तो यह संख्या पांच लाख पहुंच गई थी। विंध्य कॉरिडोर बनने के बाद प्रतिदिन पांच लाख श्रद्धालुओं के आने की आस है। मां विंध्यवासिनी धाम में वर्ष में दो बार शारदीय व चैत्र नवरात्र मेला लगता है। नवरात्र के दिनों में तो विंध्यवासिनी मंदिर पर तिल रखने तक की जगह नहीं मिलती।

तीर्थयात्रियों के भरोसे चलती है विंध्यधाम की अर्थव्यवस्था

समय के साथ अब विंध्यधाम की चहल-पहल बदल गई है। यहां की अर्थव्यवस्था पूरी तौर पर तीर्थयात्रियों पर ही टिकी है। ठहरने के लिए होटलें, प्रसाद की दुकानें, रेस्टोरेंट, भोजनालय, सवारियों के लिए साधन व अन्य सुविधाओं में काफी इजाफा हुआ है। विंध्यवासिनी धाम के व्यापारी कहते हैं कि करोड़ों का कारोबार तीर्थयात्रियों के भरोसे है।

विंध्य कॉरिडोर निर्माण के बाद प्रतिदिन पांच लाख श्रद्धालुओं का आगमन अपेक्षित

विंध्य कॉरिडोर निर्माण के साथ दर्शनार्थियों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। कॉरिडोर निर्माण के बाद मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए प्रतिदिन पांच लाख श्रद्धालुओं का आगमन अपेक्षित है। निश्चित रूप से कमाई बढ़ेगी और विंध्यधाम की अर्थव्यवस्था सुधरेगी।

दानपात्र से हर वर्ष निकलता है सवा करोड़ रुपये, सोना-चांदी व विदेशी मुद्रा भी

विंध्य पर्वत पर विराजमान मां विंध्यवासिनी मंदिर, कालीखोह व अष्टभुजा मंदिर पर कुल 11 दानपात्र हैं। नौ दानपात्र विंध्यवासिनी मंदिर पर व एक-एक दानपात्र अष्टभुजा व कालीखोह मंदिर पर है। प्रतिवर्ष छह बार दानपात्रों की गिनती होती है और लगभग सवा करोड़ रुपये निकलता है। जबकि पहले एक करोड़ रुपये निकलता था। दानपात्र से नकद के साथ सोना-चांदी व विदेशी मुद्रा भी मिलता है।

खूब लुभा रहा विंध्य-गंगा का विहंगम दृश्य व प्राकृतिक सौंदर्य

विंध्य पर्वत पर बना पूर्वांचल का पहला रोप-वे 260 फीट की ऊंचाई से धार्मिक यात्रा कराने के साथ विंध्य-गंगा का विहंगम व प्राकृतिक सौंदर्य श्रद्धालुओं को खूब लुभा रहा है। आस्था की डगर पर बुजुर्ग दर्शनार्थियों के लिए रोप-वे वरदान साबित हो रहा है। विंध्य कॉरिडोर का निर्माण होने से रोप-वे के साथ पर्यटन को भी उड़ान मिलेगी।

धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा, रोजगार के भी अवसर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। दिसंबर 2023 तक निर्माण कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य है। सुनहरे रंग का आकर्षक विंध्य कॉरिडोर मां विंध्यवासिनी की महिमा का अहसास कराएगा ही, दूर से ही दर्शकों को बर्बश अपनी ओर खींचेगा। विंध्यधाम का विकास होने से आस्था की डगर पर श्रद्धालुओं की राह आसान होगी ही, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

 
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