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ऋषियों ने अपनी तपस्या से सजाया उत्तराखंड

Date : 08-May-2023

देवभूमि उत्तराखंड को ढेर सारे ऋषियों ने अपनी तपस्या से सजाया है। घूमने निकलेंगे तो पूरा उत्तराखंड ही ख़ासमख़ास है। यहां की हवा इतनी निराली है कि आपका मन ही नहीं करेगा वापस आने का। घूमने वाली जगहों को आप दो हिस्सों में बांट सकते हैं- धार्मिक स्थल और रोमांचक स्थल।

उत्तराखंड के धार्मिक स्थल ­­­:- श्रद्धालुओं का गढ़ है उत्तराखंड, अगर आपको 1 महीना दे दिया जाए तो भी आप उत्तराखंड पूरा नहीं घूम सकते।

हर की पौड़ी हरिद्वारदेवों की नगरी कहे जाने वाले हरिद्वार में स्थित हर की पौड़ी घाट हरिद्वार का मुख्य आकर्षण का केंद्र है, जहां पर सूर्यास्त के समय होने वाली गंगा माता की आरती सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया में भी काफी प्रसिद्ध है। इस आरती में शामिल होने हर साल करोड़ों तीर्थयात्री हरिद्वार में आते हैं और गंगा नदी में स्नान करते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि हर की पौड़ी घाट पर गंगा नदी में स्नान करने वाले तीर्थयात्री को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

केदारनाथ-उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर तीन पहाड़ों (केदारनाथ, खर्चकुंड और भरतकुंड) से घिरे होने के साथ-साथ पांच नदियों (क्षीरगंगा, मंदाकिनी, सरस्वती, स्वर्णगौरी, और मधुगंगा) का संगम भी है। यहां पर भगवान शिव के आकृति पिण्ड की पूजा की जाती है। उत्तराखंड के पंचकेदार और चार धामों में से केदारनाथ मंदिर में सबसे ज़्यादा भीड़ होती है। केदारनाथ मंदिर जाने के लिए गौरीकुंड से करीब 16-18 किमी. का ट्रेकिंग करके जाना पड़ता है, जिसे पैदल के अलावा घोड़े, खच्चर या पालकी के द्वारा भी कम्प्लीट किया जा सकता है।

मद्महेश्वर मंदिर-उत्तराखंड में मद्महेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर पंचकेदार के द्वितीय केदार के रूप में प्रसिद्ध है। मद्महेश्वर मंदिर में भगवान शिव के नाभी की पूजा की जाती है। पंचकेदार की यात्रा करते समय तीर्थयात्री इस मंदिर में स्थापित भगवान शिव का दर्शन करना नहीं भूलते हैं। मद्महेश्वर मंदिर का ट्रेक लगभग 16 किमी. का होता है, जिसे पैदल, घोड़े या खच्चर द्वारा पूरा करना होता है।

तुंगनाथ मंदिर-उत्तराखंड के चतुर्थ केदार के रूप में प्रसिद्ध इस मंदिर में भगवान शिव के एकानन यानी मुख की पूजा होती है। रुद्रनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा शिवलिंग की नहीं, बल्कि उनकी पूजा प्रतिमा के रूप में की जाती है और उस प्रतिमा को स्वयंभू यानी खुद से प्रकट हुई प्रतिमा मानी जाती है। रुद्रनाथ मंदिर की चढ़ाई करीब 22-24 किमी. है, जिसे आप पैदल, घोड़े या खच्चर की सुविधा लेकर पूरा कर सकते हैं।

कल्पेश्वर मंदिर-इस मंदिर को उत्तराखंड के अंतिम यानी पांचवे केदार के रूप में जाना जाता है, जहां पर भगवान शिव की जटा की पूजा की जाती है। कल्पेश्वर मंदिर जाने के लिए थोड़ा-सा भी ट्रेक नहीं करना पड़ता, क्योंकि इस मंदिर से मात्र 300 मीटर पहले तक गाड़ियां चलती हैं, इसलिए इस मंदिर को पंचकेदार का सबसे आसानी से दर्शन होने वाला मंदिर माना जाता है।

बद्रीनाथबद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के सबसे आकर्षित तीर्थयात्रा में से एक है। बद्रीनाथ मंदिर में बद्रीनारायण की पूजा की जाती है, जिन्हें भगवान विष्णु का एक रूप माना जाता है। बद्रीनाथ मंदिर में जाने के लिए भी ट्रेक नहीं करना पड़ता, क्योंकि इस मंदिर के बिल्कुल निकट तक कोई भी गाड़ी बिना किसी परेशानी के पहुंच जाती है।

गंगोत्री मंदिर -यह मंदिर गंगा माता को समर्पित है। मंदिर की ऊंचाई लगभग 20 फीट है, जिसके अंदर गंगा माता की प्रतिमा स्थापित की गई है। गंगोत्री मंदिर जाने के लिए ट्रेक नहीं करना पड़ता। बाइक, कार, टेक्सी, जीप और बस वगैरह सभी इस मंदिर के एकदम नज़दीक तक जा सकती हैं। गंगोत्री मंदिर से ही गौमुख का ट्रेक स्टार्ट होता है। अगर आप चाहें तो गंगा माता के दर्शन करने के बाद गौमुख का ट्रेक भी स्टार्ट कर सकते हैं, जो गंगोत्री मंदिर से करीब 18 किमी. का ट्रेक होता है।

यमुनोत्री मंदिर-यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड के चार धामों का एक हिस्सा है, जहां पर मंदिर में स्थापित यमुना माता की प्रतिमा की पूजा की जाती है। यमुनोत्री मंदिर जाने के लिए लगभग 6 किमी. का ट्रेक करना पड़ता है, जो इस मंदिर के सबसे नजदीकी सड़क मार्ग जानकी चट्टी, जहां तक गाड़ी पहुंच जाती है, से शुरू होता है।

धनौल्टी में स्थित माता सुरकंडा देवी मंदिर-धनौल्टी में स्थित माता सुरकंडा देवी मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। जब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51 भागों में बांट दिया था, तो यहां पर माता सती का सिर गिरा था और तभी से इन्हें सुरकंडा देवी के नाम से जाना जाता है। चंबा-मसूरी सड़क मार्ग पर स्थित यह मंदिर नजदीकी कस्बे कद्दूखाल से करीब 2.5 किमी. की दूरी पर स्थित है और इस 2.5 किमी. की दूरी को ट्रेक करके कंप्लीट करना पड़ता है।

उत्तराखंड के रोमांचक स्थल­­­­­­­­­­­:

देहरादूनयहां के हरे-भरे पेड़, नीला आसमान, सर्द मौसम, बढ़िया खाना, ये सब कुछ ट्रिप को मज़ेदार बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ते। हिमालय की तलहटी में बसा देहरादून, जो उत्तराखंड की राजधानी है, अपनी खूबसूरत जलवायु और सुंदर परिदृश्य के लिए जाना जाता है। उत्तराखंड राज्य में गढ़वाल हिमालय की चोटी पर स्थित देहरादून समुद्र तल से 1400 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

मसूरी और नैनीतालमसूरी पर्यटक स्थल दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी विशेषताओं की वजह से बेहद आकर्षित करता है। यहां आप हर साल हज़ारों लाखों में सैलानियों को देख सकते हैं। मसूरी कोक्वीन ऑफ हिल्सके नाम से भी जाना जाता है। मसूरी की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 7000 फीट है। तो वही बात करें नैनीताल की, नैनीताल हिल स्टेशन भी उत्तराखंड राज्य के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है। नैनीताल कोनैनी झीलके नाम से भी जाना जाता है। नैनीताल अपनी एडवेंचर एक्टिविटीज़ के लिए भी बेहद प्रसिद्ध है।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्कजिम कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड राज्य में हिमालय की तलहटी के बीच स्थित एक खूबसूरत नेशनल पार्क है। ये नेशनल पार्क भारत के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है, जिसकी स्थापना वर्ष 1936 में हैली नेशनल पार्क के रूप में गयी थी। आपको बता दें इस पार्क में रॉयल बंगाल टाइगर की लुप्तप्राय प्रजातियों का निवास स्थान है। इसके अलावा इस पार्क में 580 पक्षियों की प्रजातियां, 50 प्रजातियों के पेड़ और जानवरों की लगभग 50 प्रजातियां तथा 25 सरीसृप प्रजातियां मौजूद हैं।

रानीखेतरानीखेत उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है जो कुछ बेहतरीन प्राकृतिक दृश्यों और प्राकृतिक सुंदरता से समृद्ध है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित, ये जगह आपको शहर की भीड़-भाड़ से दूर लाकर खड़ा कर देती है। ये हिल स्टेशन हिमालय का मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है, जहां आपको शांतिपूर्ण वातावरण भी देखने को मिलेगा। रानीखेत सेब के बागों, खुबानी और देवदार के पेड़ों से घिरे कुछ सबसे खूबसूरत बगीचों का घर है। इसमें घने जंगल और खूबसूरत झरने भी हैं जो पर्यटकों को बेहद आकर्षित करते हैं।

 
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