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भुईयां माता के दरबार की एक चुटकी मिट्टी से गठिया बीमारी होती है छूमंतर

Date : 05-Jun-2023

हमीरपुर जिले में एक गांव के देवी माता के मंदिर की चौखट की चुटकी भर मिट्टी गठिया रोग के मरीजों के लिए रामबाण है। आषाढ़ मास में रविवार को माता रानी के दरबार में माथा टेकने के बाद चुटकी भर मिट्टी लगाते ही यह बीमारी छूमंतर हो जाती है। इस पवित्र स्थान में ऐसे तमाम लोग भी ठीक होकर वापस गए हैं जो किसी के सहारे आए थे। आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन यहां देवी मां के स्थान पर पूरे माह तक चलने वाले मेले की तैयारियां भी अब शुरू कर दी गई है।

हमीरपुर शहर से करीब 11 किमी दूर कालपी मार्ग पर किनारे झलोखर गांव स्थित है। यहां गांव में एक देवी मां के स्थान की रौनक देखते ही बनती है। यह पवित्र स्थल मां भुईयां माता के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर का इतिहास भी कम से कम नौ सौ साल पुराना है। यहां किसी जमाने में यह पवित्र स्थान रिहायशी बस्ती से काफी दूर था लेकिन अब यह देवी माता का मंदिर घनी आबादी के बीच हो गया है। देवी माता के मंदिर के बगल में ही एक बड़ा तालाब है। यह तालाब तीन दशक पहले बड़ा ही रमणीक था। इसका पानी भी निर्मल रहता था लेकिन लोगों के घरों का गंदा पानी गिरने से यह तालाब पूरी तरह से बदरंग हो गया है।

इस पवित्र स्थान की मान्यता है कि देवी मां के दर्शन करने से पहले श्रद्धालु को तालाब में डुबकी लगाने के बाद ही देवी मां के दरबार में माथा टेकना होता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन से यहां देवी माता के दरबार में मेला लगेगा जो पूरे माह तक चलेगा। इसके लिए गांव में समाजसेवियों की टोलियों ने तैयारी अब पूरी कर ली है। मंदिर को खूब सजाया गया है। मंदिर तक जाने वाले रास्ते में साफ सफाई और प्रकाश की व्यवस्था की गई है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह एक ऐसा पवित्र स्थान है जिसकी छत आज तक नहीं डाली जा सकी। जब भी मां के स्थान पर छत डलवाने की कोशिश होती है तो दीवालें ही ढह जाती है।

सिर्फ चुटकी भर मिट्टी ही गठिया रोग के लिए है रामबाण

मंदिर के पुजारी निर्भय दास व सत्येन्द्र अग्रवाल ने बताया कि मां भुइयां रानी के दरबार की चुटकी भर मिट्टी गठिया रोग के लिए रामबाण है। आषाढ़ मास में हर रविवार को गठिया रोग से पीड़ित लोगों का मेला लगता है। तमाम लोग किसी के सहारे इस स्थान तक आते है लेकिन कई दिनों तक पवित्र स्थान पर रहने और लगातार चुटकी भर मिट्टी लगाने पर मरीज बिनी किसी के सहारे वापस चले जाते है। बताया कि भुइयां देवी मां नीम के पेड़ की खोह से निकली हैं। इसका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। इस स्थान पर आज भी खड़ा नीम का पेड़ सैकड़ों बसंत देख चुका है।

रोटी, घी और गुड़ का लगता है देवी मां को भोग

गांव के समाजसेवी सत्येन्द्र अग्रवाल ने बताया कि सैकड़ों सालों से मां भुइयां रानी के स्थान पर मेला आयोजित होता है। आषाढ़ मास में यहां पड़ोसी एमपी के अलावा तमाम इलाकों से बड़ी तादाद में मरीज भी मां के दरबार में माथा टेकने आते हैं। मंदिर के सामने ही गोबर के उपले में रोटी बनाकर घी, गुड़ मिलाकर प्रसाद लोग तैयार करते हैं, फिर इसी का भोग देवी मां को लगाया जाता है। मंदिर के पुजारी निर्भय दास ने बताया कि इस स्थान पर सिर्फ रोटी, घी और गुड़ का ही भोग लगाए जाने की परम्परा है। सरोवर में स्नान करने के बाद महिलाएं यहां भोग तैयार करती हैं।

 

 
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