बावन घाटों से सजी पवित्र पुष्कर झील और ब्रह्मा जी के प्रसिद्ध मंदिर के लिए, पुष्कर सिर्फ राजस्थान और भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी पहचाना जाता है। सैंकड़ों मंदिरों की घंटिया जब सांझ की वेला में एक साथ बजती हैं तो पुष्कर का पवित्र वातावरण गुंजायमान हो जाता है। जयपुर से 130 कि.मी. तथा अजमेर से 14 कि.मी. दूर सर्पाकार घाटियों से गुजरते हुए पुष्कर पहुँचा जा सकता है। माना जाता है कि 14वीं सदी का ब्रह्मा मंदिर विश्व में एक मात्र यहीं पर है। 510 मीटर की ऊँचाई पर स्थित पुष्कर तीन तरफ पहाड़ियों से घिरा हुआ है। नाग पहाड़ अर्थात सर्प की तरह बल खाए हुए यह पहाड़ अजमेर और पुष्कर के बीच में खड़ा है। पूरी दुनियां में गुलाब के फूल, गुलाब का इत्र, सैंट और ग़ुलक़न्द इसी पुष्कर से निर्यात किया जाता है। कहते हैं सबसे ज्यादा गुलाब के फूलों का निर्यात, अरब देशों को किया जाता है। पौराणिक इतिहास और मंदिरों की स्थापत्य कला पुष्कर को विरासत में मिली है। किंवदंतियों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा जी के हाथ से एक फूल यहाँ गिरा था और तभी पवित्र पुष्कर सरोवर की इस स्थान पर उत्पत्ति मानी जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार अन्य तीर्थों की तरह ही पुष्कर के पवित्र सरोवर में भी स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आइए पुष्कर के दर्शनीय स्थलों का आनन्द लें। राजस्थान में सदैव कुछ पवित्र, कुछ निराला देखने को मिलता है।
पुष्कर सरोवर
तीर्थराज’ के नाम से प्रसिद्ध पुष्कर सरोवर, सभी तीर्थस्थलों का राजा कहलाता हैं। इस सरोवर में डुबकी लगाने पर तीर्थयात्रा सम्पन्न मानी जाती है, ऐसी मान्यता है। अर्द्ध गोलाकार रूप में लगभग 9-10 मीटर गहरी यह झील 500 से अधिक मंदिरों और 52 घाटों से घिरी हुई है। राजस्थान आने वाला प्रत्येक देशी व विदेशी पर्यटक, पुष्कर घूमने और ब्रह्मा जी के दर्शन करने जरूर आता है।
ब्रह्मा मंदिर
पूरे विश्व का एक मात्र ब्रह्मा मंदिर, पुष्कर में स्थित है। संगमरमर से निर्मित, चाँदी के सिक्कों से जड़ा हुआ, लाल शिखर और हंस (ब्रह्मा जी का वाहन) की छवि, वाले मंदिर में ब्रह्मा जी की चतुर्मुखी प्रतिभा, गर्भगृह में स्थापित है। इसी मंदिर में सूर्य भगवान की संगमरमर की मूर्ति, प्रहरी की भाँति खड़ी है। इस मूर्ति की विशेषता यह है कि सूर्य भगवान की मूर्ति जूते पहने दिखाई दे रही है।
गुरूद्वारा सिंह सभा
गुरूद्वारा सिंह सभा पुष्कर के पूर्वी भाग में स्थित है यह 19वीं सदी की शुरूआत में पहले और दसवें गुरू - श्री गुरू नानक देव जी और श्री गुरू गोविन्द सिंह जी की यात्रा की समृति में बनाया गया था।
वराह मंदिर
वराह मंदिर पुष्कर का एक प्राचीन मंदिर है। 12वीं शताब्दी के शासक राजा अन्नाजी चौहान द्वारा निर्मित यह मंदिर भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह को समर्पित है। एक पौराणिक कथा के अनुसार एक राक्षस (हिरण्याक्ष) धरती को जल की गहराई में ले गया था। जहां से वराह ने उसे बचाया था। यह पुष्कर का एक जाना माना मंदिर है।