मराठा काल में बना था हमीरपुरका शिवमंदिर | The Voice TV

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मराठा काल में बना था हमीरपुरका शिवमंदिर

Date : 21-Aug-2023

 हमीरपुर शहर में यमुना नदी किनारे एक शिवमंदिर मराठा काल में बना था जिसके गर्भ में सैकड़ों साल पुराना इतिहास छिपा है। ये मंदिर पतालेश्वर धाम के नाम से विख्यात है। यह मंदिर जमीन से नीचे करीब बीस फीट की गहराई में बना है जहां शिव लिंग विराजमान है। इस शिव लिंग की महिमा भी बड़ी निराली है क्योंकि जमीन में चालीस फीट की गहराई में भी इस शिव लिंग का छोर भी नहीं मिलता। यहां अबकी सावन मास के सोमवार की धूम मचेगी।



हमीरपुर शहर के मध्य यमुना नदी किनारे पतालेश्वर मंदिर स्थित है। इसका निर्माण मराठा काल में कराया गया था। इस स्थान के पास ही रहने वाली स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पत्नी विजय कुमारी सिंह (105) ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। जहां जमीन के अंदर विराजमान पाताली शिव लिंग का सच्चे मन से यमुना नदी के जल से जलाभिषेक करने पर मन को बड़ी शांति मिलती है। ये शिव ङ्क्षलग काले रंग है जिसका अंतिम छोर जमीन के अंदर है। बताया कि अंग्रेजी हुकूमत में अंग्रेज अफसर भी इस शिवमंदिर में माथा टेकने आते थे। पंडित डीपी शुक्ल ने बताया कि मराठा कालीन शिवमंदिर में विराजमान शिव लिंग का रहस्य कोई आज तक नही जान पाया है। ये शिव लिंग जमीन से करीब बीस फीट नीचे है।



मंदिर की ऊंचाई भी बीस फीट के आसपास है। मंदिर में बना रोशनदान जमीन को छूता है। जहां से बाढ़ आने पर यमुना नदी का पानी सीधे शिव लिंग पर आता है। अब पर्यटन डिपार्टमेंट ने भी इसे चमकाने के लिए तैयारी की है। हाल में ही पर्यटन विभाग की टीम ने यहां आकर मिट्टी के नमूने लिए थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस मंदिर में कई दशकों तक कोई भी पुजारी साल भर तक नहीं टिक पाता था क्योंकि रात में मंदिर में अजीबो गरीब आवाजें और प्रकाश होने पर पुजारी डर के मारे बीमार हो जाते थे। इसीलिए मंदिर परिसर में ही हनुमान जी का भव्य मंदिर नगरवासियों की मदद से बनवाया गया है। अब मंदिर में पुजारी सेवाराम को डर नहीं लगता है। पुजारी ने बताया कि सावन मास के इस सोमवार को यहां दिन भर अनुष्ठान होंगे।



खुदाई में मिले शिव लिंग की हुई थी प्राणप्रतिष्ठा

साहित्यकार डाँ.बीडी प्रजापति व बुजुर्ग शिक्षक लखनलाल जोशी ने बताया कि मराठा काल में बुन्देलखंड के ज्यादातर इलाकों में शिवमंदिरों का विस्तार हुआ था। बताया कि पतालेश्वर शिवमंदिर का इतिहास बड़ी ही रोचक है। ये यमुना नदी के बिल्कुल किनारे बना है। जो बड़ी ही अद्भुत है। ये शिव लिंग जमीन से खुदाई के दौरान मिला था लेकिन इसका अंतिम छोर आज तक नहीं नजर आया। इसीलिए इस मंदिर को पतालेश्वर मंदिर कहा जाता है। बताया कि धरातल से काफी नीचे सीढिय़ों के जरिए उतरकर जाने पर ही शिव लिंग के दर्शन होते है। एक मदिर के शिव लिंग का पानी जमीनी सुरंग के जरिए सीधे यमुना नदी में जाता है जिसे आज तक कोई भी देख नहीं पाया।



दैवीय आपदाएं आई फिर भी नहीं आई मंदिर में आंच

मंदिर के आसपास रहने वाले सतीश तिवारी, संतोष बाजपेई, विनोद सैनी व अरुण कुमार मिश्रा समेत तमाम लोगों ने बताया कि वर्ष 1978, 1982, 1983 में यमुना नदी में आई बाढ़ का पानी हमीरपुर शहर में घुस गया था। ये मराठा काल शिवमंदिर और आसपास के तमाम इलाके पानी में डूब गए थे फिर भी मंदिर जस का तस ही खड़ा रहा। स्थानीय लोगों के मुताबिक कुछ साल पहले मंदिर के पास ही आकाशीय बिजली गिरी थी जिससे एक किमी के दायरे में सैकड़ों लोगों के घरों की टीवी, फ्रिज, पंखे और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण फुंक गए थे लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। जबकि मंदिर के पास ही एक मकान की दीवाल फट गई थी।

 
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