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राजस्थान राज्य का तीसरा सबसे बड़ा आदिवासी समूह -गरासिया आदिवासी जनजाति

Date : 02-Sep-2023

हमारे देश के जाने कितने हिस्सों में अलग तरह की जनजातियां रहती हैं। सभी के रहन सहन का तरीका और पहनने ओढ़ने का ढंग दूसरों से बिल्कुल अलग होता है। जहां कुछ जनजातियों में अपना विवाह खुद के चुने हुए साथी से करने का रिवाज है, वहीं कुछ जनजातियां ऐसी हैं जिनमें विवाह किए बिना ही एक साथ रहने की परंपरा है। ऐसी भी कुछ जनजातियां भी हैं जो लिव इन रिलेशनशिप में रहना पसंद करती हैं और बच्चों के जन्म के बाद ही शादी का निर्णय लेती हैं। ऐसी ही एक जनजाति है राजस्थान कीगरासिया आदिवासी जनजाति।

इस जनजाति ने अपनी जीवन शैली के कारण भारतीय संस्कृति में प्रमुख स्थान प्राप्त किया है। गरासिया आदिवासी समुदाय ने राजस्थान राज्य ही नहीं बल्कि बाहर के राज्यों का भी ध्यान अपनी ओर केंद्रित किया है। गरासिया आदिवासी समुदाय को राजस्थान राज्य का तीसरा सबसे बड़ा आदिवासी समूह माना जाता है। इस समुदाय के लोग मूल रूप से इस राज्य के विभिन्न हिस्सों जैसे सिरोही की कोटरा, आबू रोड तहसील, पाली जिले की बाली और देसूरी तहसील, उदयपुर की गोगुंडा और खेरवाड़ा तहसीलों में रहते हैं। आइए जानें इस जनजाति से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

गरासिया जनजाति का इतिहास

गरासिया' शब्द संस्कृत के 'ग्रास' शब्द से बना है जो किसी पदार्थ को दर्शाता है। इतिहास कहता है कि अलाउद्दीन खिलजी से पराजित होने के बाद, राजपूतों ने भील जनजातियों के पहाड़ी इलाकों में उड़ान भरी। गरासियाओं ने भील जनजातियों पर अधिकार कर लिया और गरासिया आदिवासी समुदाय के रूप में जाना जाने लगा। उनका मध्यकालीन राजपूत समुदाय से जुड़ाव है। इसके अलावा, गरासिया जनजातियों को लोकप्रिय रूप से 'गिरे हुए राजपूत' के रूप में जाना जाता है और लोकप्रिय धारणा के अनुसार ये गरासिया जनजाति राजस्थान राज्य के प्रसिद्ध चौहानों के वंशजों के रूप में सामने आयी। कुछ लोग कहते हैं कि गरासिया जनजाति राजपूतों के वंशज हैं जिन्होंने एक भील महिला से शादी की थी।

लिव इन रिलेशनशिप को देते हैं प्राथमिकता

गरासिया जनजाति का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि वे शादी से पहले ही इसके सदस्यों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की अनुमति देते हैं। वार्षिक गौर मेला, जनजाति के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है जहां जोड़े अपनी पसंद के भागीदारों के साथ भाग जाते हैं। उनके लौटने के बाद, लड़के के परिवार को दुल्हन के परिवार को एक राशि का भुगतान करना होता है; जिसके बाद वे विवाह करके एक साथ रहते हैं। इस जनजाति की खास बात यह है कि महिलाएं किसी अन्य मेले में एक नए लिव-इन पार्टनर की तलाश कर सकती हैं, जिससे महिला के पूर्व साथी को अधिक कीमत चुकाने की उम्मीद की जाती है। भारत की अन्य जगहों के विपरीत, गरासिया समुदाय में महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा ऊंचा स्थान रखती हैं और शादी के सभी खर्चों को वहन करने की जिम्मेदारी पुरुष पर होती है।

बच्चे के जन्म के बाद होती है शादी

इस जनजाति की एक और ख़ास बात ये है कि महिलाएं अपनी पसंद के पार्टनर का चुनाव करके उनके साथ लिव इन में तो रहती ही हैं और उनसे शादी तभी करती हैं जब उन्हें बच्चा हो जाता है और वो पार्टनर के साथ खुश रहती हैं। यदि उन्हें किसी भी तरह की असंतुष्टि होती है तो वो बेजिझक रिश्ते को तोड़ भी सकती हैं। ऐसा सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि इस जनजाति में महिलाएं ज्यादा ऊंचा दर्जा रखती हैं और इसी वजह से इस जनजाति में कभी भी रेप या महिलाओं के साथ मारपीट जैसी कोई घटना नहीं होती है। यही नहीं यदि लिव इन में रहते हुए उन्हें बच्चें नहीं होते हैं तो वो दुसरे पार्टनर की तलाश भी कर सकती हैं। 

जीवन यापन के लिए करते हैं खेती

भले ही पूरे गरासिया आदिवासी समुदाय को कई कुलों में विभाजित किया जा सकता है, लेकिन वे शायद ही कभी आपस में एकता बनाए रखते हैं। अपने जीवन यापन को बनाए रखने के लिए गरासिया जनजाति के लोग खेती करते हैं। गरासिया जनजातियों की खान-पान की आदतें भी राज्य के किसी अन्य कृषि आदिवासी समुदाय की परंपरा का पालन करती हैं। मक्का सभी गरासिया परिवारों द्वारा उगाया जाने वाला मुख्य भोजन है। इसके अलावा वे अपने आहार में चावल, ज्वार और गेहूं भी शामिल करते हैं। रबड़ी को गरासिया लोगों का पसंदीदा भोजन माना जाता है। वे अपने सभी शुभ अवसरों के दौरान लपसी, मालपुआ, चूरमा आदि तैयार करते हैं। गरासिया जनजाति ज्यादातर शाकाहारी होती हैं और उन्हें किसी प्रकार की शराब की कोई लत भी नहीं होती है।

 

 
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