पक्षियों से प्रेरणा लेकर मिसाइल और स्पेस जगत के बने महानायक
देश को मिसाइल और स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कामयाबी की ऊंचाइयों पर ले जाने वाले महान वैज्ञानिक और बेहतरीन प्रेरणादाता जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश सेवा में लगा दिया। जहाँ बतौर वैज्ञानिक उन्होंने देश को मिसाइल टेक्नोलॉजी में विश्व स्तरीय बना दिया वहीँ एक राष्ट्रपति के रूप में करोडों हिन्दुस्तानियों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की प्रेरणा दी। डॉ कलाम के जीवन और कार्य हमारे लिए जितने प्रेरक हैं उतनी ही प्रेरक और ह्रदयस्पर्शी उनके जीवन की घटनाएं भी है डॉ कलाम के जीवन का एक दिल छू लेने वाला प्रसंग जो किसी को भी भविष्य की प्रगति तय कर सकता है।
यह बात उस समय की है, जब कलाम साहब मात्र 10 वर्ष की उम्र में पांचवी कक्षा में पढ़ते थे. उनके स्कूल में एक बहुत ही बेहतरीन अध्यापक शिव सुब्रमणियम अय्यर हुआ करते थे. उनकी कक्षा में सभी बच्चे उपस्थित रहते थे. एक दिन उन्होंने ब्लैक बोर्ड पर पंख फड़फड़ाते पक्षी का चित्र बनाया. जिसमें उन्होने पक्षी के सिर, पूंछ तथा पूरे शरीर को अंकित कर समझाया कि, पक्षी अपने आपको कैसे हवा में उठाते है, और उड़ान भरते है. उन्होंने यह भी समझाया कि उड़ान के वक्त वे कैसे दिशा बदलते है. करीब 25 मिनट तक के लैक्चर में उन्होंने बताया कि पक्षियों के उठाव, खिंचाव व 10, 20 या 30 पक्षी मिलकर अलग-अलग आकृतियां किस प्रकार बनाते हैं. क्लास की समाप्ति पर उन्होंने जानना चाहा कि, कौन-कौन से बच्चे को अच्छी तरह समझ में आया, तब कलाम साहब ने कहा कि ’’मुझे समझ में नहीं आया. तब उन्होंने दूसरे बच्चों को पूछा तो ज्यादातर बच्चों ने यही जवाब दिया कि उन्हे भी समझ में नहीं आया. प्रतिबद्व अध्यापक होने के नाते उन्होंने बच्चों से कहा कि शाम को हम सब समुद्र तट पर चलेगें वहाँ पक्षियों को प्राकृतिक रूप से उड़ते हुए देखेंगें जिससे सारी बात समझ में आ जायेगी।
उस शाम को सुब्रमणियम सर कलाम साहब की पूरी क्लास को रामेश्वरम् के समुद्र तट पर ले गये. पूरी क्लास ने आनन्द पूर्वक गरजती हुई समुद्री लहरों को रेतीले किनारों से टकराते हुए देखा, साथ ही पक्षियों को मीठी चहचहाट की आवाज करते हुए 10 से 20 के ग्रुप में विभिन्न आकृतियां बनाकर उड़ते हुए देखा. पक्षियों को सुन्दर फोरमेशन में उड़ते हुए देखा तथा अध्यापक जी से उसका कारण समझा तो पूरी क्लास आश्चर्यचकित रह गई, उन्होंने समझाया कि उड़ान भरते समय पक्षी किस तरह नजर आते हैं, पक्षी पंख फड़फड़ाते है तब उनकी पूंछ का झुकाव/मरोड़ कैसे चलता है. इससे बच्चों ने ध्यान से नोटिस किया कि पक्षी जिस दिशा में चाहते है उसी दिशा में उड़ते हुए मुड़ जाते हैं. उन्होने क्लास से अगला सवाल किया कि इन पक्षियों में इंजन कहाँ होता है और इन्हे शक्ति कहाँ से मिलती है कलाम साहब इस पर बताते हैं, ’’हमारे समझ में आ गया कि पक्षियों की जो इच्छा होती है, उसकी पूर्ति के लिये वे अपनी अंतः प्रेरणा से अपने शरीर से ही शक्ति प्राप्त करते हैं. यह सब बातें हमें 15 मिनट में ही समझ में आ गई. आगे वे कहते है कि ऐसे महान अध्यापक द्वारा हमें एक सैद्धांतिक पाठ को प्रायोगिक रूप से प्रकृति में उपलब्ध जीवन्त उदाहरण के साथ समझाया जिससे हमें पक्षियों की पूरी गति समझ में आ गई.
कलाम साहब बताते हैं कि, मेरे लिये यह घटना पक्षियों की उड़ान समझना मात्र नहीं रहा. पक्षियों की उड़ान मेरे अन्दर घुस गई थी, और मेरे अन्दर विशेष प्रकार के भाव जागृत हो गये और मैने तय कर लिया कि मेरी भविष्य की पढ़ाई, उड़ान तथा उड़ान प्रणाली से सम्बन्धित रहेगी. इस प्रकार सुब्रमणियम सर के वास्तविक अध्यापन की इस घटना ने मेरा भविष्य तय कर दिया था. यह घटना मेरे जीवन में मील का पत्थर साबित हुई.’’
आकाश की तरफ देखिये। हम अकेले नहीं हैं। सारा ब्रह्माण्ड हमारे लिए अनुकूल है और जो सपने देखते है और मेहनत करते है उन्हें प्रतिफल देने की साजिश करता हैं - डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम