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जो व्यक्ति दूसरों के काम न आए वास्तव में वह मनुष्य नहीं है - ईश्वर चंद्र विद्यासागर

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शिक्षाप्रद कहानी:- सज्जनता

Date : 14-Sep-2024

 अमेरिका में आर्मस्ट्रांग नामक एक युवक पर किसी की हत्या का आरोप लगाकर उसे न्यायालय में पेश किया गया | न्यायाधीश ने जाँच के आदेश दे दिए और अभियुक्त को कारागार में भेज दिया गया | तथाकथित उस अपराधी के पिता का बाल्यकाल में ही निधन हो चुका था, केवल निर्धन माँ शेष थी |

यह उन दिनों की बात है कि जब अमेरिका के एक पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन वकालत किया करते थे | वे आर्मस्ट्रांग और उसके परिवार से भलीभांति परिचित थे | अत: उन्होंने उसकी पैरवी करने का निश्चय किया और उसकी माँ को एक पत्र भेजकर उसे सांत्वना देते हुए लिखा “आर्मस्ट्रांग का मुकदमा मैं अपनी ओर से लड़ रहा हूँ | मेरा यत्न होगा कि न्यायालय में उसके साथ न्याय हो, अन्याय नहीं | आप निश्चित हो जाइये |”

पत्र पाकर आर्मस्ट्रांग की माँ प्रसन्न हुई और मन ही मन वह परमात्मा को धन्यवाद देने लगी | जाँच आरंभ होकर पूर्ण हुई और न्यायालय में मुकदमा जब चलने लगा, तो अभियोजन पक्ष की ओर से न्यायालय में उपस्थित साक्षी ने कहा- “मैं यह बात विश्वासपूर्ण कह सकता हूँ कि उस दिन रात्रि 9.30 बजे के आस-पास आर्मस्ट्रांग ने ही, उस मनुष्य पर जोर से  प्रहार किया, उसी से उस मनुष्य की मृत्यु हुई है | मैंने अपनी आँखों से यह सब देखा था | अपने कथन की सत्यता के लिए मैं कहना चाहता हूँ कि उस समय खूब चांदनी खिली हुई थी, उसके प्रकाश में ही यह सब कृत्य उसने किया |”

प्रत्यक्षदर्शी के वक्तव्य के बाद सामान्यतया यह समझा जाने लगा था कि निश्चित ही आर्मस्ट्रांग अपराधी सिद्ध हो गया है और उसको अपराध का दंड मिलेगा | बचाव पक्ष के वकील ने एक सप्ताह का समय मांग लिया, जो उसको दे दिया गया |

आर्मस्ट्रांग के वकील अब्राहम लिंकन ने सबसे पहले उस दिन का पंचाग देखा तो वे प्रसन्नता से खिल उठे | क्योंकि उस दिन वहन के आकाश में चंद्रमा 9.30 बजे पर विद्यमान ही नहीं था | उस दिन चंद्रमा का उदय ही रात्रि में 11 बजे हुआ था | लिंकन को यह बहुत बड़ा प्रमाण मिल गया, जिससे की प्रत्यक्षदर्शी का कथन असत्य सिद्ध होता था |

निश्चित तिथि पर लिंकन ने जब सब प्रकार के प्रमाणों को न्यायाधीश के सम्मुख प्रस्तुत किया तो, न्यायाधिश इस तथ्य के सम्मुख नत-मस्तक हो गए | वादी पक्ष के वकील को कुछ कहने के लिए रह नहीं गया था | न्यायाधीश को लिंकन ने सब प्रकार से आश्वस्त कर दिया आर्मस्ट्रांग निरपराध है, उसे किसी सड़यंत्र में फसाया गया है |

 

न्यायाधीश ने इस पर गंभीरता से विचार किया और अंत में आर्मस्ट्रांग को दोषमुक्त घोषित कर उसे बरी कर दिया गया |

आर्मस्ट्रांग और उसकी माता यह सब देखकर भाव-विभोर हो गए | वे किंकर्तव्य विमूढ़ से अब्राहम लिंकन के सामने खड़े थे | लिंकन को भी अतीव प्रसन्नता हो रही थी | कि वे अपने उद्देश्य में सफल हुए थे | लिंकन ने आर्मस्ट्रांग की माता से कहा- “माता आपने मुझे पहचाना नहीं | मैं अपने बाल्यकाल में आपके घर पर कई वर्ष तक नौकर रह चुका हूँ | उस समय मैंने इस बच्चे को अपनी गोद में ही खिलाया था | मेरा नाम लिंकन है | आपने मेरी पूर्व कष्टमय स्थिति में मुझ पर जो अनंत उपकार किये थे, उनके लिए मैं आपका ऋणी था | उन उपकारों के बदले यह छोटा सा कार्य मैंने करने का साहस किया था और परमात्मा ने इस कार्य में हमारी सहायता की है, हमको उसका आभार मानना चाहिए |

आर्मस्ट्रांग की माता को जब लिंकन के उनके घर पर नौकरी करने की बात स्मरण हो आयी तो वे अत्यंत भाव-विभोर हो गयीं |

उनके मुख से कोई शब्द नहीं निकल पाया, टकटकी लगाये लिंकन को देखती रहीं | यह सारा दृश्य न्यायालय के कक्ष में ही घटित हो रहा था | न्यायाधीश सहित सभी उपस्थित जन इससे प्रभावित हुए बिना न रहे | सबने अब्राहम लिंकन की कृतज्ञता की प्रशंसा की| कालांतर में यही अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे |

 

 
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