भारत गणराज्य का संविधान सभा 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। जब यह पारित हुआ, यह अब तक का सबसे लंबा राष्ट्रीय संविधान बन गया, जिसमें लगभग 145,000 शब्द और भारत का संविधान 395 अनुच्छेदों और 12 अनुसूचियों के साथ, यह पूरी दुनिया में सबसे लंबा संविधान है।
कवि अमलेंदु शुक्ला की ओर से लिखी गई यह लाइनें शायद सभी के लिए आज 26 नवंबर के दिन के महत्व को दर्शाती हैं। 'मैं भारत का संविधान हूं, तुमको राह दिखाता हूं। 'पथ की सारी बारीकी को बारीकी से सिखलाता हूं।उलझे न भारत का कोई,सदा जतन यह करता हूं।रातों के अंधकार में भी, मैं दीपक सदा जलाता हूं।मैं भारत का संविधान हूँ,तुमको राह दिखाता हूं। संविधान हम सभी को देश में जीने की राह की राह दिखाता है।
भारत सरकार के राजनीतिक सिद्धांत, अभ्यास और शक्तियां संविधान पर आधारित हैं। संविधान कर्तव्यों के साथ-साथ मौलिक अधिकारों, मार्गदर्शक सिद्धांतों और नागरिक जिम्मेदारियों को भी परिभाषित करता है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय आज दिनांक 26 नवम्बर २०२४ को संविधान दिवस पदयात्रा कार्यक्रम में शामिल हुए। संविधान दिवस पदयात्रा पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय सभागृह से प्रारंभ होकर अंबेडकर चौक पर समाप्त हुई। मुख्यमंत्री ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने कहा कि राष्ट्रीय संविधान दिवस संविधान में लिखे मूल्यों, जैसे न्याय, समानता और भाईचारे की याद दिलाता है। यह नागरिकों में उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है, उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।
हमारा संविधान भारत की सदियों पुरानी संस्कृति, इतिहास और परंपराओं का आइना है, मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय सभागृह में एक कार्यक्रम में कहा। हमारे सदियों के संघर्षों, अनुभवों और सफलताओं का परिणाम यह संविधान है। उनका कहना था कि आज 26 नवंबर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संविधान दिवस 2024 का आयोजन शुरू हुआ है। भारत के संविधान को आज 75 वर्ष पूरे हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने मौलिक अधिकारों में भगवान श्रीराम, माता सीता और भइया लक्ष्मण की चित्रों को शामिल किया है। उन्होंने कहा कि यह तस्वीर तब की है जब भगवान श्रीराम लंका विजय के बाद अयोध्या लौट रहे थे। हमें इस बात को समझना होगा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने इस तस्वीर के माध्यम से हमें क्या संदेश दिया है। संविधान में ऐसे ही अनेक चित्र और संकेत हैं, जिनके माध्यम से संविधान निर्माताओं ने इंगित किया है कि हमें भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों के साथ लोकतंत्र को आगे बढ़ाना है।
संविधान के महत्व के प्रति जागरूक करने के लिए यह आयोजन किया जा रहा है, जो सालभर चलेगा। इसके लिए ’’हमारा संविधान-हमारा स्वाभिमान’’ टैगलाइन तय की गई है
इस अवसर पर देश भर के स्कूल और संस्थान इस महत्वपूर्ण दिन को मनाने के लिए प्रश्नोत्तरी, चर्चा और निबंध प्रतियोगिता जैसी अलग-अलग गतिविधियों का आयोजन करते हैं।
संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा संविधान दिवस सम्पूर्ण भारत में मनाया गया तथा 26 नवम्बर 2015 से प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण भारत में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। इससे पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था। संविधान सभा ने भारत के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया। गणतंत्र भारत में 26 जनवरी 1950 से संविधान अमल में लाया गया।
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने खुद प्रेम बिहारी से यह काम करने की गुजारिश की थी। प्रेम बिहारी ने इसे स्वीकार करने के बदले पैसे देने से भी इनकार कर दिया।
बस यही कहा- " एक पैसा भी नहीं। मेरे पास भगवान की दया से सब कुछ है और मैं अपनी जिंदगी में खुश हूं, पर मेरी एक शर्त है कि इसके हर एक पन्ने पर मैं अपना नाम और आखिरी पन्ने पर अपना और दादाजी का नाम लिखूंगा।"
संविधान से जुड़ी 10 बातें
· हाथ से लिखा हुआ- भारतीय संविधान की मूल प्रति हाथ से लिखी हुई है। इसे प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इटैलिक स्टाइल राइटिंग में लिखा था। यह प्रति भारत के संसद भवन की सेंट्रल लाइब्रेरी में हीलियम गैस से भरे शीशे के बॉक्स में सुरक्षित रखी हुई है।
संविधान को डॉ. बीआर अंबेडकर नहीं बल्कि प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा हैं। डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा का अध्यक्ष होने के नाते संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है, मगर प्रेम बिहारी वे शख्स हैं जिन्होंने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी यानी पांडुलिपि लिखी थी। इस काम में उन्हें 6 महीने लगे और कुल 432 निब घिस गईं। हमारा संविधान न केवल हाथ से लिखा गया है, बल्कि शांति निकेतन के चित्रकारों ने इसके कवर से लेकर हर पन्ने को भी अपनी सुंदर कला से सजाया।
· सबसे लंबा लिखित संविधान - भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 25 भाग हैं। इसकी विशालता का कारण यह है कि इसमें भारत की विविधता और जटिलताओं को अपने भीतर समाए हुए है।
· 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में तैयार - संविधान सभा ने 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में कुल 114 दिन बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने संविधान का मसौदा तैयार किया और उसमें कई संशोधन किए।
· 2000 से ज्यादा संशोधन -अंतिम रूप मिलने से पहले भारतीय संविधान के पहले ड्राफ्ट में करीब 2000 संशोधन किए गए थे। यह दर्शाता है कि संविधान को बनाने में कितनी मेहनत और विचार-विमर्श किया गया था।
· संविधान की आत्मा -संविधान की आत्मा कही जाने वाली प्रस्तावना को अमेरिकी संविधान से लिया गया है। भारतीय संविधान में अब तक 124 बार संशोधन हुआ है, लेकिन प्रस्तावना में कभी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
· अशोक चक्र बना राष्ट्रीय चिन्ह - 26 जनवरी 1950 को ही अशोक चक्र को बतौर राष्ट्रीय चिन्ह स्वीकार किया था।
· मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण - भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों को छह भागों में बांटा गया है- समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
· 15 महिलाओं ने किया हस्ताक्षर - संविधान पर हस्ताक्षर करने वालों में 15 महिलाएं भी शामिल थीं। यह दर्शाता है कि संविधान सभा में महिलाओं की भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण थी।
संविधान में सबसे पहले हस्ताक्षर होने थे डॉ. राजेंद्र प्रसाद के लेकिन जवाहर लाल नेहरू पहले पहुंचे और पहले नंबर पर ही हस्ताक्षर कर दिए। डॉ. राजेंद्र प्रसाद कुछ देर बाद पहुंचे तो बतौर अध्यक्ष उन्हें हस्ताक्षर करने की जगह ही नहीं मिली। वहां मौजूद स्टाफ ने कहा कि आप पंडित जी के हस्ताक्षर के ऊपर बची थोड़ी सी जगह में हस्ताक्षर कर दें। यही वजह है कि राजेंद्र प्रसाद के हस्ताक्षर कुछ दूरी पर सबसे ऊपर और तिरछे हैं।
· अंग्रेजी संस्करण में 117,369 शब्द -भारतीय संविधान के अंग्रेजी संस्करण में कुल 117,369 शब्द हैं। यह दर्शाता है कि संविधान कितना विशाल है।
· कई देशों से प्रेरित -भारतीय संविधान कई देशों से प्रेरित माना जाता है। इन देशों में ब्रिटेन, अमेरिका, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, कनाडा, जापान और रूस शामिल हैं।