राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रेरणास्रोत और तीसरे सरसंघचालक:- बालासाहब देवरस
Date : 06-Dec-2024
मधुकर दत्तात्रेय देवरस, जिन्हें उनके प्रसिद्ध नाम ‘बालासाहब देवरस’ से जाना जाता है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीसरे सरसंघचालक थे। बालासाहब स्वयंसेवकों संघ के उस पहले समूह में शामिल थे, जिसमें डॉ. हेडगेवार द्वारा ‘नागपुर के मोहिते बाड़ा’ में शुरू की गई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली शाखा में भाग लिया था। उनका जीवन अत्यंत सरल था तथा वे मिलनसार प्रवृत्ति के थे, परंतु प्रसिद्धि से कोसों दूर रहने के साथ-साथ वे कुशल संगठक और दूरदृष्टा थे। बालासाहब जी के जीवन को समझने हेतु पाठकों के लिए इस पुस्तक में बाबू राव चौथाई वाले जी का संस्मरण उल्लेखनीय है।
पुणे में चलने वाली बसंत व्याख्यान माला में हुए बालासाहब जी के ऐतिहासिक भाषण ने इस बात को प्रमाणित किया कि वे सामाजिक समरसता के अग्रदूत थे। उन्होंने अपने एक भाषण में कहा था, ‘‘यदि छुआछूत पाप नहीं है तो इस संसार में कुछ भी पाप नहीं है। वर्तमान दलित समुदाय जो अभी भी हिंदू है, जिन्होंने जाति से बाहर होना स्वीकार किया, किंतु विदेशी शासकों द्वारा धर्म परिवर्तन स्वीकार नहीं किया।’’ गरीबों, वंचितों, दलितों और आदिवासियों के उत्थान के लिए बालासाहब देवरस ने संघ के स्वयंसेवकों से विचार-विमर्श करने के बाद 2 अक्टूबर 1979 को 'सेवा भारती' नामक संस्था का गठन किया।
सन् 1975 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर संघ पर प्रतिबंध लगा दिया। हजारों संघ के स्वयंसेवको को मीसा तथा डी. आई. आर. (राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय) जैसे काले कानून के अंतर्गत जेलों में डाला गया और यातनाऐं भी दी गई। प. पू. बाला साहब की प्रेरणा एवं सफल मार्गदर्शन में विशाल सत्याग्रह हुआ और 1977 में आपातकाल समाप्त होकर संघ से प्रतिबंध हटा।
बालासाहब देवरस ने कारंजा (बालाघाट) के अपने पैतृक संपत्ति को बेचकर उससे प्राप्त धनराशि से नागपुर-वर्धा मार्ग पर स्थित खापरी में 20 एकड़ भूमि खरीदी। 1970 में उन्होंने इस 20 एकड़ कृषि भूमि को भारतीय उत्कर्ष मंडल को दान कर दिया। ज्ञातव्य है कि खापरी स्थित इस भूमि पर ग्रामीण बालक-बालिकाओं के लिए भारतीय उत्कर्ष मंदिर (विद्यालय), गोशाला और स्वामी विवेकानन्द मेडिकल मिशन नामक अस्पताल ग्रामवासियों के सेवार्थ कार्यरत है। बालासाहब की प्रेरणा से ही “भारतीय उत्कर्ष ट्रस्ट” की स्थापना की गई।
“बालासाहब जी ने अस्वस्थ होने के बाद भी साथ न देने वाली शारीरिक अवस्था में जो दो दौरे किए, वे अत्यधिक प्रेरणाप्रद थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगा प्रतिबंध, जिसे रामजन्मभूमि आंदोलन के बाद लगाया गया था, वर्ष 1993 में वापस ले लिया गया। इसके तुरंत बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चेन्नई कार्यालय में एक बम विस्फोट हुआ। कार्यालय के सामने का कमरा नष्ट हो गया। इसमें 11 व्यक्तियों, जिनमें कार्यालय में रह रहे कुछ स्वयंसेवक और कुछ अन्य व्यक्ति भी शामिल थे, जिसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
श्री बाला साहब देवरस का जन्म 11 दिसम्बर 1915 को नागपुर में हुआ था। उनके पिता सरकारी कर्मचारी थे और नागपुर इतवारी में निवास था। 1925 में संघ की शाखा प्रारम्भ हुई और कुछ ही दिनों बाद बालासाहेब ने शाखा जाना प्रारम्भ कर दिया।
स्वास्थ्य बिगड़ने कारण उन्होंने अपने जीवन काल में ही सन् 1994 में ही सरसंघचालक का दायित्व उन्होंने प्रो. राजेन्द्र सिंह उपाख्य रज्जु भैया को सौप दिया। 17 जून 1996 को उनका स्वर्गवास हो गया।