महात्मा गांधी: सत्य और अहिंसा के पुजारी | The Voice TV

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महात्मा गांधी: सत्य और अहिंसा के पुजारी

Date : 30-Jan-2025

महात्मा गांधी का जीवन और उनके विचार न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। वे सत्य, अहिंसा और आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों पर चलते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख नेता बने। उनके विचार और संघर्ष आज भी हमें न्याय, समानता और शांति का मार्ग दिखाते हैं।

जीवन परिचय

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। वे एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे और उनकी परवरिश धार्मिक वातावरण में हुई। उन्होंने सत्य, अहिंसा और नैतिकता के सिद्धांतों को बचपन से ही अपनाया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में हुई और आगे की पढ़ाई के लिए वे इंग्लैंड गए, जहां से उन्होंने वकालत की डिग्री प्राप्त की।

गांधीजी ने अपने जीवन का एक बड़ा भाग समाज सेवा और स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित किया। वे केवल एक राजनेता नहीं बल्कि आध्यात्मिक गुरु भी थे, जिन्होंने भारतीय समाज और राजनीति को सत्य और अहिंसा के माध्यम से प्रभावित किया।

महात्मा गांधी के महत्वपूर्ण योगदान

महात्मा गांधी का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अत्यंत महत्वपूर्ण था। उनके द्वारा चलाए गए आंदोलनों ने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनके प्रमुख योगदान इस प्रकार हैं:

·         सत्याग्रह और अहिंसा के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व: उन्होंने सविनय अवज्ञा और असहयोग आंदोलन के माध्यम से ब्रिटिश हुकूमत का विरोध किया।

·         असहयोग आंदोलन (1920-22): इस आंदोलन के तहत उन्होंने ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार करने और स्वदेशी अपनाने का संदेश दिया।

·         दांडी यात्रा (1930): यह आंदोलन ब्रिटिश नमक कानून के खिलाफ एक ऐतिहासिक पैदल यात्रा थी।

·         भारत छोड़ो आंदोलन (1942): इस आंदोलन के दौरान उन्होंने ब्रिटिश सरकार से भारत को तुरंत स्वतंत्र करने की मांग की।

·         चंपारण और खेड़ा आंदोलन: इन आंदोलनों के माध्यम से उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

संघर्षमय जीवन यात्रा

महात्मा गांधी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। उन्होंने पहले दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए आंदोलन किया और फिर भारत में स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया।

1893 में, जब वे वकालत करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए, तो वहां भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को देखकर उन्होंने इसके खिलाफ आंदोलन चलाया। उन्होंने वहाँ सत्याग्रह का पहला प्रयोग किया, जो आगे चलकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य हथियार बना। भारत लौटने के बाद, उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया।

राष्ट्रपिता’ का दर्जा

महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' का दर्जा सबसे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1944 में दिया। नेताजी ने सिंगापुर रेडियो के एक प्रसारण में उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया। इसके बाद, पंडित नेहरू सहित कई नेताओं ने इस उपाधि को स्वीकारा।

महात्मा गांधी के प्रमुख आंदोलन

गांधीजी ने कई अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिनमें प्रमुख हैं:

·         रोलेट एक्ट सत्याग्रह (1919): इस काले कानून के खिलाफ भारतीय जनता को संगठित किया।

·         असहयोग आंदोलन (1920-22): ब्रिटिश शासन के विरुद्ध शांतिपूर्ण विरोध का नया अध्याय।

·         दांडी यात्रा (1930): 240 मील की यह यात्रा नमक कर के खिलाफ एक ऐतिहासिक विरोध थी।

·         भारत छोड़ो आंदोलन (1942): यह आंदोलन भारत को पूर्ण स्वतंत्रता दिलाने के लिए था।

गांधीजी की आत्मकथा

महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा ‘द स्टोरी ऑफ माय एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रूथ’ लिखी, जो 1927 में प्रकाशित हुई। इसमें उन्होंने अपने जीवन, संघर्षों और नैतिक मूल्यों के प्रति उनके विचारों को साझा किया। यह पुस्तक आज भी दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

गांधीजी की शहादत

30 जनवरी 1948 को, दिल्ली में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी। गोडसे गांधीजी की हिंदू-मुस्लिम एकता की नीति से असहमत था। यह दुखद घटना बिड़ला भवन (अब गांधी स्मृति) में हुई, जब गांधीजी प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे। इस घटना ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया।

गांधीजी की विरासत

महात्मा गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। उनका जीवन सत्य, अहिंसा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। उनकी पुण्यतिथि, 30 जनवरी को ‘राष्ट्रीय शहीद दिवस’ के रूप में मनाई जाती है। 2 अक्टूबर, गांधी जयंती, अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी विश्वभर में मनाई जाती है।

निष्कर्ष

महात्मा गांधी के विचार और संघर्ष आज भी हमें प्रेरित करते हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्चा परिवर्तन शक्ति से नहीं, बल्कि प्रेम, अहिंसा और सहिष्णुता से आता है। यदि हम उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाएं, तो हम न केवल अपने समाज को, बल्कि पूरी दुनिया को एक बेहतर स्थान बना सकते हैं।

 

 
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