प्रेरक प्रसंग :- नम्रता का प्रयोजन | The Voice TV

Quote :

तुम खुद अपने भाग्य के निर्माता हो - स्वामी विवेकानंद

Editor's Choice

प्रेरक प्रसंग :- नम्रता का प्रयोजन

Date : 18-Feb-2025

एक बार युधिष्ठिर भीष्माचार्य के पास गये और बोले, “मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ – वह यह कि यदि कोई प्रबल शत्रु किसी निर्बल राजा पर आक्रमण कर दे, तो उसे राजनीती की दृष्टि से क्या करना चाहिए ? “ भीष्म बोले- “इसके जवाब में मैं एक कथा सुनाता हूँ |” और कहने लगे –

“सरित्पति समुद्र वैसे तो अपनी सभी पत्नियों पर प्रसन्न थे, किन्तु वेत्रवती नदी से असंतुष्ट थे | एक बार जब वे उससे नाराज हुए, तो वेत्रवती ने अपराध पूछा | इस पर समुद्र ने बताया, ‘तेरे किनारों पर बेंत के झाड़ बहुत हैं, मगर तूने आज तक बेंत का एक टुकड़ा भी लाकर नहीं दिया | अन्य नदियाँ तो किनारे की सभी वस्तुएं लाकर देती हैं, जबकि तूने साधारण-सा बेंत भी नहीं दिया |”
 
“वेत्रवती ने उत्तर दिया, नाथ ! इसमें मेरा कुछ भी अपराध नहीं है | बात यह है की जब मैं जोश के साथ तेज गति से आती रहती हूँ, तो सरे बेंत के झाड़ नीचे झुककर पृथ्वी से मिल जाते हैं, किन्तु मेरे जाने के बाद पुन: ज्यों का त्यों सिर उठाकर खड़े हो जाते हैं | यही कारण है की मुझे एक भी बेंत नहीं मिल पाता |”
कथा सुनाकर भीष्म बोले, “इस कथा का सर यही है कि उस परिस्थिति में  निर्बल राजा को नम्रता का ही सहारा लेना चाहिए |”
 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload










Advertisement