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चाणक्य नीति :- चांडाल प्रकृति

Date : 19-Feb-2025

 पक्षिणा  काकश्चाणडाल पशूनां चैव कुक्कुर : |    

मुनीनां पापश्चाचांडाल: सर्वेषु निंदक: ||

यहां आचार्य चाणक्य चांडाल के बारे में बताते हुए कह रहे हैं कि पक्षियों में कौआ, पशुओं में कुत्ता, मुनियों में पापी तथा निंदक सभी प्राणियों में चांडाल होता है |

भाव यह है कि पक्षियों में कौए को चांडाल समझना चाहिए | पशुओं में कुत्ते को तथा मुनियों में पापी को चांडाल मानना चाहिए | दूसरों की बुराई करनेवाला व्यक्ति पक्षियों, पशुओं तथा मनुष्यों में भी सबसे बड़ा चांडाल  माना जाता है | अर्थात्  निंदक चांडालों  का भी चांडाल होता है क्योंकि जिस व्यक्ति की परोक्ष रूप में निंदा की जाती है उसकी अनुपस्थिति में निंदक को ही उसका पाप भुगतना पड़ता है | अत: अच्छा है कि निंदा की प्रवृत्ति से बचें | मनुष्य की यह सबसे बड़ी कमजोरी है कि वह निंदा में अधिक रस लेता है इसमें समय नष्ट होने के अतिरिक्त कुछ हाथ नहीं आता |

 
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