हिमालय के आंतरिक क्षेत्र में स्थित गंगोत्री धाम हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल है। यह वही स्थान है जहाँ गंगा, जिसे जीवन की धारा माना जाता है, पहली बार पृथ्वी पर अवतरित हुई।
गंगा अवतरण की पौराणिक कथा
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवी गंगा राजा भगीरथ की कठोर तपस्या के फलस्वरूप पृथ्वी पर आईं। उनके पूर्वजों के पापों के प्रायश्चित के लिए गंगा का अवतरण आवश्यक था। किंतु गंगा के वेग को सहन कर पाना कठिन था, इसलिए भगवान शिव ने अपनी जटाओं में उन्हें रोककर उनके प्रवाह को नियंत्रित किया। गंगोत्री में अवतरित होने के कारण इस पवित्र नदी को यहाँ भागीरथी के नाम से जाना जाता है।
राजा सगर और गंगा की उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा सगर ने अपने वर्चस्व को स्थापित करने के लिए एक अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ के लिए छोड़ा गया घोड़ा जब कपिल मुनि के आश्रम में बंधा मिला, तो राजा सगर के 60,000 पुत्रों ने आश्रम पर आक्रमण कर दिया। ध्यानमग्न कपिल मुनि ने क्रोधित होकर उन्हें श्राप दे दिया, जिससे वे सभी नष्ट हो गए। उनके उद्धार के लिए राजा सगर के पौत्र भागीरथ ने कठिन तपस्या कर देवी गंगा को पृथ्वी पर अवतरित किया।
गंगा की उत्पत्ति से जुड़ी अन्य किंवदंतियाँ
एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने भगवान विष्णु के वामन अवतार के चरण धोकर उनके जल को अपने कमंडलु में संचित किया, जिससे गंगा उत्पन्न हुईं।
एक अन्य कथा के अनुसार, गंगा एक सुंदर कन्या के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुईं और उन्होंने राजा शांतनु से विवाह किया। उनके पुत्रों में से सात को उन्होंने नदी में प्रवाहित कर दिया, लेकिन आठवें पुत्र भीष्म को राजा शांतनु ने बचा लिया। बाद में भीष्म ने महाभारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गंगोत्री धाम का ऐतिहासिक महत्व
गंगोत्री धाम में भागीरथी नदी के तट पर स्थित गंगोत्री मंदिर 18वीं शताब्दी में गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा द्वारा बनवाया गया था। मान्यता है कि राजा भगीरथ ने इसी स्थान पर एक पवित्र शिला पर बैठकर भगवान शिव की घोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप गंगा धरती पर अवतरित हुईं।
गंगोत्री और गौमुख का महत्व
गंगोत्री से लगभग 19 किलोमीटर दूर, समुद्र तल से 3,892 मीटर की ऊँचाई पर गौमुख स्थित है, जिसे गंगोत्री ग्लेशियर का मुख और भागीरथी नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। कहा जाता है कि यहाँ के बर्फीले जल में स्नान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है और आत्मा शुद्ध हो जाती है।
गंगोत्री धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम भी प्रस्तुत करता है। इस पावन स्थल की यात्रा हर श्रद्धालु के लिए एक दिव्य अनुभव साबित होती है।