भस्मना शुद्धयते कांस्यं ताम्रमम्लेन शुद्धयति |
राजसा शुद्धयते नारी नदी वेगेन शुद्धयति | |
यहां आचार्य शुद्धि की चर्चा करते हुए कहते हैं कि कांसा भस्म से शुद्ध होता है, तांबा अम्ल से, नारी रजस्वला होने से तथा नदी अपने वेग से शुद्ध होती है |
भाव यह है कि राख से साफ किये जाने पर कांसा चमक उठता है तांबा तेज़ाब से साफ हो जाता है | हर माह होनेवाले मासिक धर्म से स्त्रियाँ अपने आप शुद्ध हो जाती हैं और बहते रहने से नदी शुद्ध हो जाती है |
कहा जा सकता है कि जो नदियाँ धीरे-धीरे बहती हैं उनका पानी गंदला और सदैव अशुद्ध रहता है जबकि वेग से बहनेवाली नदी का जल शुद्ध स्वच्छ रहता है | इसी प्रकार स्त्री की शुद्धि उसके रजस्वला होने के बाद ही होती है | उसके बाद ही गर्भधारण के योग्य हो पाती है | रजोधर्म हीन स्त्री बन्ध्या होती हैं |