ईमानदारी का चमत्कार: एक शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक कहानी | The Voice TV

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ईमानदारी का चमत्कार: एक शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक कहानी

Date : 01-Mar-2025

कई सौ वर्ष पुरानी बात है कि गुजरात में एक बार अकाल पड़ गया | अन्न के बिना मनुष्य और तृण के बिना पशु तड़फ रहे थे | वर्षा ऋतु व्यतीत हो रही थी , परन्तु आकाश में कही बादल का नामोनिशान नही था | तत्कालीन नरेश ने यज्ञ कराये साधु महात्माओ के सम्मुख नत मस्तक हुए परन्तु कोई लाभ नही हुआ | एक दिन किसी ने नरेश से कह दिया- “आपके शहर में अमुक व्यापारी चाहे तो वर्षा हो सकती है |”  उसने एक व्यापारी का नाम बताया |

राजा उस व्यापारी के यहाँ स्वयं गये | व्यापारी ने नम्रतापूर्वक हाथ जोडकर प्रार्थना की –“ अन्नदाता ! मैं तो तुच्छ मनुष्य हूँ | मेरे कहने से कहाँ वर्षा हो सकती हैं ?”

परन्तु नरेश को जिसने सम्मति   दी थी , उसकी बात पर उन्हें पूरा विश्वास था | वे हठ करके बैठ गये और बोले –“ आपको दीन प्रजा के ऊपर और मूक पशुओं पर दया करनी ही पड़ेगी | जब तक वर्षा नही होती मैं आपके द्वार पर बैठा ही रहूगा | “

व्यापारी ने देखा कि उसका इस प्रकार छुटकारा नही हो सकता | उसने अपनी तराजू उठाई और बाहर आकर बोला –“ देवता और लोकपाल साक्षी हैं , यदि इस तराजू में मैंने कभी कम अथवा अधिक न तौला हो , यदि यह तराजू सत्य और ईमान का सौदा ही तौलता रहा तो देवराज इंद्र वर्षा करें |”

सबसे बड़ी सिध्दि तो है ईमानदारी | व्यापारी का वाक्य पूरा होते ही , न होते हुए भी आसमान पर बादल छाने लगे और आंधी की गड़गड़ाहट भी दूर से सुनाई देने लगी | कुछ क्षणों में आकाश मेघों से ढक गया और फिर उस प्रदेश में वर्षा की झड़ी लगने लगी |

प्रजा आश्वस्त हुई ,राजा व्यापारी को धन्यवाद देकर अपनेप्रासाद  में चले गये |  

 

 
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