मध्यप्रदेश का आर्थिक उत्कर्ष: निवेश, समृद्धि और वैश्विक पहचान | The Voice TV
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मध्यप्रदेश का आर्थिक उत्कर्ष: निवेश, समृद्धि और वैश्विक पहचान
Date : 03-Mar-2025
प्रदेश की साँस्कृतिक, ऐतिहासिक और विविध प्राकृतिक स्थलों को पर्यटन से जोड़कर निवेश आमंत्रित किये गये । निवेशकों ने इस दिशा में भी अपनी रूचि दिखाई। विंध्य, सतपुड़ा और अरावली पर्वतमाला से घिरी मध्यप्रदेश की यह धरती अपनी प्राकृतिक, साँस्कृतिक, ऐतिहासिक और लोक संस्कृति की विविधताओं के लिये संसार भर में प्रसिद्ध हैं। रॉक शेल्टर, गर्म पानी के झरने, हरे-भरे हिल स्टेशन, घाटियाँ, गुफाएँ वन्य जीवों और वनस्पति से भरे वन, उनका अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य पर्यटकों केलिये सहज आकर्षण का केन्द्र हैं। रोचक लोक संस्कृतियाँ, उनके नृत्य कौशल, चित्रकारी, नृत्यगीत और उनसे जुड़े लोक जीवन की रोचक कहानियाँ भी शोध कर्ताओं और प्रकृति प्रेमियों को आकृषित करते हैं। इन सब स्थलों को पर्यटन से जोड़ा गया है। और निवेशकों के प्रस्ताव आये। प्रदेश में ऐसे अनेक मन्दिर, किले और विश्व प्रसिद्ध गुफ़ाएँ हैं जिनमें मानव सभ्यता के विकास का क्रम, गौरवशाली इतिहास छिपा है। वे सदैव आकर्षण का केन्द्र रहे हैं। इनमें कुछ तो ऐसे हैं जिनके प्रतीक चिन्ह कोलकाता के राष्ट्रीय संग्रहालय से लेकर लंदन के म्युजियम में प्रदर्शित हैं। जैसै सतना के पास भरहुत का स्तूप के अवशेष कोलकाता के राष्ट्रीय संग्रहालय में और भोजशाला धार की माता सरस्वती की प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में है। उज्जैन की वेधशाला, साँची के स्तूप, विदिशा का भग्न सूर्य मंदिर उदयगिरी की गुफाएँ, महू की बाघ गुफ़ाएँ, खजुराहों के मंदिर, जानापाव, सतधारा, चंबल, नर्मदा, ताप्ती, बेतवा और शिप्रा के उद्गम स्थल भेड़ाघाट आदि उल्लेखनीय हैं। ओंकारेश्वर, महाकाल, मैहर, सलकनपुर, ओरछा, तरावली, पीताम्बरा पीठ, पशुपतिनाथ मंदसौर, बाघ अभ्यारण्य, प्रमुख बाँध, पचमढ़ी आदि लगभग सौ विविध स्थानों को पर्यटन से जोड़कर निवेश आमंत्रित किये गये हैं। इनमें अधिकांश वे स्थल हैं इनका उल्लेख विदेशी पर्यटकों ने भी किया है। ये सभी स्थल न केवल प्रदेश अपितु विदेशी पर्यटकों केलिये भी आकर्षण का केन्द्र रहे हैं। ग्लोबल समिट में निवेशकों ने इन सभी क्षेत्रों को एक पर्यटन कॉरीडोर बनाकर निवेश में रुचि दिखाई और निवेश करार भी हुये। इससे तीन लाभ होगे। एक तो इन क्षेत्रों में पर्यटन बढ़ने से आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी, परोक्ष रूप से रोजगार के अवसर बढ़ेगे दूसरा पूरे विश्व से आने वाले पर्यटक मध्यप्रदेश के साँस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक गौरव से परिचित हो सकेंगे। और तीसरा सबसे महत्वपूर्ण है इन स्थलों का रखरखाव बढ़ेगा अर्थात विकास के साथ विरासत का भी संरक्षण होगा।
मध्यप्रदेश के औद्योगीकरण केलिये सरकार ने "मेट्रोपॉलिटन कॉन्सेप्ट" के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न अंचलों में आसपास के जिलों को जोड़कर एक औद्योगिक कॉरीडोर बनाने का भी निर्णय लिया है। इसमें मालवा अंचल में इंदौर, उज्जै, देवास, शाजापुर और पीथमपुर (धार) को जोड़कर एक इंडस्ट्रियल सेंटर बनाने की दिशा में काम करना आरंभ कर दिया है। राजधानी भोपाल से विदिशा, रायसेन, सीहोर और नर्मदापुरम को जोड़कर एक कॉरीडोर बनाने की योजना पर काम आरंभ हो गया है। इसी प्रकार मध्यभारत, बुन्देलखण्ड, महाकौशल और विन्ध्य क्षेत्र में भी ऐसे इंडस्ट्रियल कॉरीडोर विकसित किये जायेगें। इनमें सड़क और रेल परिवहन, बिजली, पानी, सीवर लाइन और औद्योगिक क्षेत्र में कॉलोनी जैसी सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। ऐसे क्षेत्रों को मेट्रोपॉलिटन के रूप में विकसित करने केलिये आगामी 25 वर्षों की बढ़ती आवश्यकता को ध्यान में रखकर योजना बनाई जा रही है।
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