रंग पंचमी: भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के संग होली खेलने का महापर्व : 19 मार्च
रंग पंचमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, और यह होली के पांच दिन बाद आता है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी ने एक साथ होली खेली थी, और सभी देवी-देवता पृथ्वी पर आकर उनके दर्शन करने के लिए आए थे।
रंग पंचमी का शुभ मुहूर्त:
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि का आरंभ 18 मार्च को रात 10 बजकर 09 मिनट से होगा, और यह तिथि 20 मार्च को रात 12 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी। अत: रंग पंचमी 19 मार्च को मनाई जाएगी।
रंग पंचमी का महत्व:
रंग पंचमी का त्योहार राधा और कृष्ण के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन राधा रानी और भगवान कृष्ण ने एक-दूसरे को अबीर और गुलाल लगाकर रंगों की रासलीला की थी। माना जाता है कि इस दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आए थे और रंगों के साथ उनका स्वागत किया गया। रंग पंचमी में रंगों का प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा के संचार का प्रतीक माना जाता है।
यह त्योहार होली के जैसे ही उल्लास और आनंद के साथ मनाया जाता है। रंग पंचमी का धार्मिक महत्व भी बहुत बड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार, होलिका दहन के दौरान वातावरण के सारे नकारात्मक कणों का नाश होता है और यह वातावरण को शुद्ध करता है, जिससे सकारात्मकता का संचार होता है।
रंग पंचमी का उद्देश्य पंचतत्व – पृथ्वी, जल, तेज, आकाश और वायु – को सक्रिय करना है। ऐसा माना जाता है कि मानव शरीर भी इन पांच तत्वों से बना है, और रंग पंचमी का त्योहार इन तत्वों के आह्वान से जीवन में संतुलन लाता है।
यह पर्व मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है, जहां लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ रंग खेलते हैं। इस दिन राधा और कृष्ण की पूजा भी की जाती है, ताकि उनके दिव्य मिलन को श्रद्धांजलि दी जा सके।