शारदीय नवरात्रि 2025 में तिथियों को लेकर भक्तों के बीच भ्रम की स्थिति बन गई है। 29 सितंबर को कुछ लोग इसे अष्टमी मान रहे हैं, लेकिन उदयातिथि के अनुसार यह दिन सप्तमी का है, और इसी दिन मां कालरात्रि, जो मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं, की आराधना की जाती है।
दरअसल, इस वर्ष नवरात्रि में चतुर्थी तिथि दो बार आ रही है, जिसके कारण पूरे व्रत नौ के स्थान पर दस दिन तक चलेंगे। इसी वजह से पूजा तिथियों को लेकर असमंजस फैल गया है। हालांकि, पंचांग के अनुसार, सप्तमी तिथि की शुरुआत 28 सितंबर को दोपहर 2:29 बजे हुई थी और इसका समापन 29 सितंबर को शाम 4:31 बजे होगा। इसी आधार पर 29 सितंबर को सप्तमी पूजन मान्य है।
इस दिन भक्त मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना कर महा सप्तमी व्रत रखते हैं। मां कालरात्रि का स्वरूप रौद्र और भयानक होते हुए भी, अत्यंत कल्याणकारी है। वे अपने भक्तों के सभी भय, बाधा और अंधकार का नाश करती हैं। मां को प्रसन्न करने के लिए गुड़ का भोग अर्पित किया जाता है और भक्त नारंगी रंग के वस्त्र धारण करते हैं, जो इस दिन का शुभ रंग माना गया है।
मां कालरात्रि की स्तुति के लिए मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्रै नमः
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
मंगलवार, 30 सितंबर को महा अष्टमी, बुधवार 1 अक्टूबर को महा नवमी, और गुरुवार 2 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। कन्या पूजन परंपरा अष्टमी और नवमी—दोनों दिन की जा सकती है।
इस प्रकार, नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर मां कालरात्रि की विधिवत पूजा करके भक्तजन उनके आशीर्वाद से भय, रोग, शोक और शत्रुओं से मुक्ति प्राप्त करते हैं।
