हर साल 2 अक्टूबर को विश्व भर में विश्व अहिंसा दिवस मनाया जाता है, जो कि महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित होता है। यह दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक महान विचार और आदर्श का प्रतीक है — अहिंसा, जो कि गांधीजी के जीवन और शिक्षाओं का मूल आधार था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिन को वैश्विक स्तर पर मनाने की शुरुआत की ताकि गांधीजी के अहिंसा और शांति के संदेश को पूरी दुनिया में फैलाया जा सके और मानवता के लिए एक स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त किया जा सके।
विश्व अहिंसा दिवस का उद्देश्य केवल हिंसा का विरोध करना नहीं है, बल्कि यह समाज में सहिष्णुता, समझदारी, प्रेम और एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देना है। यह दिन हमें यह स्मरण कराता है कि अहिंसा केवल एक विचारधारा या सिद्धांत नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक ऐसा तरीका है जो हर इंसान के दिल में शांति और सद्भावना का बीज बोता है।
गांधीजी ने अहिंसा को केवल व्यक्तिगत या राजनीतिक संघर्ष का हथियार नहीं माना, बल्कि इसे सम्पूर्ण मानवता के कल्याण के लिए सबसे शक्तिशाली और प्रभावी मार्ग बताया। उनका मानना था कि अहिंसा के माध्यम से ही हम सामाजिक न्याय, समानता और भाईचारे को मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने अपने जीवन में इस सिद्धांत को इतने दृढ़ता से अपनाया कि उन्होंने न केवल भारत की आज़ादी में अहिंसा को सबसे बड़ा अस्त्र बनाया, बल्कि पूरी दुनिया को यह सिखाया कि शांति और प्रेम की ताकत से बड़े से बड़े संघर्ष को भी शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सकता है।
इस दिन पर हम सबको यह प्रतिबद्धता करनी चाहिए कि हम अपने जीवन में अहिंसा के मूल्यों को अपनाएँगे — न केवल बाहरी हिंसा से बचेंगे, बल्कि अपने विचारों, शब्दों और व्यवहार में भी प्रेम और करुणा को प्रोत्साहित करेंगे। विश्व अहिंसा दिवस हमें यह प्रेरणा देता है कि हम अपने परिवार, समाज और देश में शांति का संचार करें, तथा भेदभाव, द्वेष और हिंसा को जड़ से मिटाने का प्रयास करें।
आज के इस दौर में, जहाँ वैश्विक स्तर पर कई प्रकार के संघर्ष और असहिष्णुता बढ़ रही है, विश्व अहिंसा दिवस की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि यदि हम एक-दूसरे की बात समझें, एक-दूसरे का सम्मान करें और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना को अपनाएँ, तो एक बेहतर, सुखी और समृद्ध विश्व की रचना संभव है।
इसलिए, 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाकर हम न केवल महात्मा गांधी के उस महान आदर्श को याद करते हैं, बल्कि पूरे विश्व को यह संदेश भी देते हैं कि अहिंसा ही मानवता की सबसे बड़ी शक्ति है, जो नफरत के अंधकार को दूर कर, प्रेम और भाईचारे की रोशनी फैलाती है। आइए, हम सभी इस दिन को अपने जीवन में शांति और सहिष्णुता के संकल्प के साथ मनाएँ और एक ऐसे विश्व के निर्माण में योगदान दें जहाँ हर व्यक्ति सम्मान, प्रेम और समानता के साथ जीवन बिताए।
