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"भारतीय वायुसेना के बढ़ते कदम और परमवीर निर्मल जीत सिंह सेखों"

Date : 08-Oct-2025
8 अक्टूबर - वायुसेना दिवस के 93वें स्थापना दिवस की बधाईयों के साथ सादर समर्पित है 

'उसे गुमां है कि मेरी उड़ान कुछ कम है,
 मुझे यकीं है कि ये आसमान कुछ कम है'। 

विश्व में भारतीय वायुसेना की गणना चौथे नंबर पर होती है।
ग्लोबल फायरपावर डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी एयरफोर्स को विश्व की सबसे शक्तिशाली वायु सेना माना गया है। इसके बाद रुस और चीन की वायुसेना का नंबर है। चौथे नंबर पर भारतीय वायु सेना है। भारतीय वायु सेना को दुनिया की चौथी सबसे शक्तिशाली वायु सेना का दर्जा ऐसे ही नहीं मिला। भारतीय वायु सेना के पास 2229 विमान हैं। भारतीय वायु सेना के पास 53 फाइटर जेट, 899 हेलीकॉप्टर और 831 सहायक विमान हैं। भारतीय वायुसेना की शक्ति का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि,आपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइल के एक हमले से ही पाकिस्तान ने सरेंडर कर दिया।

"नभ:स्पृशं दीप्तम्"(Touch the sky with glory)" यही  भारतीय वायु सेना का आदर्श
वाक्य है।भारतीय वायुसेना का भगवद्गीता से भी गहरा रिश्‍ता है, क्‍योंकि इसका आदर्श वाक्‍य ‘नभ:स्‍पृशं दीप्‍तम्’ गीता के 11वें अध्‍याय से ही लिया गया है। महाभारत के महायुद्ध के दौरान कुरूक्षेत्र की युद्धभूमि में भगवान श्री कृष्‍ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए थे, यह उसी का अंश है। भगवान श्री कृष्‍ण, अर्जुन को अपना विराट रूप दिखा रहे हैं और भगवान का यह विराट रूप आकाश तक व्याप्त है जो अर्जुन के मन में भय और आत्म-नियंत्रण में कमी उत्पन्न कर रहा है। इसी तरह भारतीय वायुसेना राष्ट्र की रक्षा में वांतरिक्ष शक्ति का प्रयोग करते हुए शत्रुओं का दमन करने का लक्ष्य करती है।

उपर्युक्त आदर्श के आलोक में भारतीय वायुसेना के महारथी फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह ने सन् 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में पाकिस्तानी वायुसेना के आक्रमण की धज्जियाँ उड़ाईं थीं।महारथी की शौर्य गाथा उन युवाओं और विधर्मियों के लिए साझा कर रहा हूँ, जो मातृभूमि से ऊपर कुछ और समझते हैं। विवाह का उत्सव मनाने को, कोई चुनता है, सौंदर्य स्थल, कोई चुनता है, हिल स्टेशन आलीशान होटल और विदेश के पर्यटन स्थल, परंतु बिरले ही होते हैं वो, जो विवाह का जश्न मनाने को चुनते हैं जंग के गलियारे।”

ये सच है कि विवाह का उत्सव हर युवा का एक अनोखा सपना होता है, वह अपने तरीके से बेहतरीन और आलीशान जगह पर अपने इस शगुन को होते देखना चाहता है। लेकिन समर भूमि जैसी जगह बिरले लोग ही चुनते हैं, इस कड़ी में परमवीर निर्मल जीत सिंह सेखों का नाम अग्रणी और अमर रहेगा।  फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों ने अपने विवाह का उत्सव मनाने के लिए मैदान-ए-जंग को चुना। साथ ही 1971 के युद्ध में पाक के कई लड़ाकू विमानों को ध्वस्त कर भारत की जीत सुनिश्चित कर दी थी।

महारथी सेखों का जन्म 17 जुलाई 1943 को लुधियाना, पंजाब, ब्रिटिश भारत में सेखों जाट सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम फ्लाइट लेफ्टिनेंट तारलोक सिंह सेखों था। उन्हें 4 जून 1967 को पायलट अधिकारी के रूप में भारतीय वायुसेना में सम्मिलित किया गया था।

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान वह भारतीय वायुसेना की "द फ्लाइंग बुलेट" 18वीं स्क्वाड्रन में काम कर रहे थे। 14 दिसम्बर 1971 को श्रीनगर हवाई अड्डे पर पाकिस्तान वायु सेना के एफ-86 जेट विमानों द्वारा 26वीं स्क्वाड्रन पीएएफ बेस पेशावर से हमला किया।

 सुरक्षा टुकड़ी की कमान संभालते हुए फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह वहाँ पर 18 नेट(Gnat) स्क्वाड्रन के साथ तैनात थे। जैसे ही हमला हुआ सेखों अपने विमान के साथ स्थिति में आ गए और तब तक फ्लाइंग लैफ्टिनेंट घुम्मन भी कमर कस कर तैयार हो चुके थे। एयरफील्ड में एकदम सुबह काफ़ी धुँध थी। सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर चेतावनी मिली थी कि दुश्मन आक्रमण पर है।

 निर्मलसिंह तथा घुम्मन ने तुरंत अपने उड़ जाने का संकेत दिया और उत्तर की प्रतीक्षा में दस सेकेण्ड के बाद बिना उत्तर उड़ जाने का निर्णय लिया। ठीक 8 बजकर 4 मिनट पर दोनों वायु सेना अधिकारी दुश्मन का सामना करने के लिए आसमान में थे। उस समय दुश्मन का पहला F-86 सेबर जेट एयर फील्ड पर गोता लगाने की तैयारी कर रहा था। 

एयरफील्ड से पहले घुम्मन के जहाज ने रनवे छोड़ा था। उसके बाद जैसे ही निर्मलजीत सिंह का नेट(Gnat) उड़ा, रन वे पर उनके ठीक पीछे एक बम आकर गिरा। घुम्मन उस समय खुद एक सेबर जेट का पीछा कर रहे थे। सेखों ने हवा में आकर दो सेबर जेट विमानों का सामना किया, इनमें से एक जहाज वही था, जिसने एयरफील्ड पर बम गिराया था। बम गिरने के बाद एयर फील्ड से कॉम्बैट एयर पेट्रोल का सम्पर्क सेखों तथा घुम्मन से टूट गया था।

 सारी एयरफील्ड धुएँ और धूल से भर गई थी, जो उस बम विस्फोट का परिणाम थी। इस सबके कारण दूर तक देख पाना कठिन था। तभी फ्लाइट कमाण्डर स्क्वाड्रन लीडर पठानिया को नजर आया कि कोई दो हवाई जहाज मुठभेड़ की तैयारी में हैं। घुम्मन ने भी इस बात की कोशिश की, कि वह निर्मलजीत सिंह की मदद के लिए वहाँ पहुँच सकें लेकिन यह सम्भव नहीं हो सका। 

तभी रेडियो संचार व्यवस्था से निर्मलजीत सिंह की आवाज़ सुनाई पड़ी...
"मैं दो सेबर जेट जहाजों के पीछे हूँ...मैं उन्हें जाने नहीं दूँगा..."
उसके कुछ ही क्षण बाद नेट(Gnat) से आक्रमण की आवाज़ आसपान में गूँजी और एक सेबर जेट आग में जलता हुआ गिरता नजर आया। तभी निर्मलजीत सिंह सेखों ने अपना सन्देश प्रसारित किया...
"मैं मुकाबले पर हूँ और मुझे मजा आ रहा है। मेरे इर्द-गिर्द दुश्मन के दो सेबर जेट हैं। मैं एक का ही पीछा कर रहा हूँ, दूसरा मेरे साथ-साथ चल रहा है।"

इस सन्देश के जवाब में स्क्वेड्रन लीडर पठानिया ने निर्मलजीत सिंह को कुछ सुरक्षा सम्बन्धी हिदायत दी। इसके बाद नेट(Gnat) से एक और धमाका हुआ जिसके साथ दुश्मन के सेबर जेट के ध्वस्त होने की आवाज़ भी आई। उनका निशाना फिर लगा और एक बड़े धमाके के साथ दूसरा सेबर जेट भी ढेर हो गया। 

कुछ देर की शांति के बाद फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों का सन्देश फिर सुना गया। उन्होंने कहा...
"शायद मेरा जेट भी निशाने पर आ गया है...घुम्मन, अब तुम मोर्चा संभालो।"यह निर्मलजीत सिंह का अंतिम सन्देश था और वह वीरगति को प्राप्त हो गए।उन्होंने ने 6 पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों का सामना किया, जिसमें दो को मार गिराया था और वीरगति तक 4 को उलझाए रखा था। 

निर्मल जीत सिंह सेखों को मरणोपरांत उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए, सन् 1972 में सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र दिया गया। परंतु ये मार्मिक पंक्तियाँ भावुक भी कर देती हैं - 
"मेहंदी भी कहाँ छूटी थी, घूंघट भी कहाँ उतरा था।
संगम था अभी अधूरा, कर्तव्य के लिए प्रियतम बिछुड़ा था।
प्रतीक्षा थी,उन कोमल आँखों को प्रियतम के लौटने की । 
देखा तो तिरंगे में, लिपटकर परमवीर आ गया।"

भारतीय वायुसेना के शौर्य का इतिहास विस्तृत है, इसलिए  सारांश में प्रसिद्ध अभियान देना समीचीन होगा। "द्वितीय विश्वयुद्ध, सन् 1947 का भारत-पाक युद्ध, कांगो संकट, 
गोवा मुक्ति संग्राम,सन् 1962 का भारत-चीन युद्ध, सन् 1965 का भारत-पाक युद्ध, 1971 का बांग्लादेश मुक्ति युद्ध, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन
पुतला,ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन कैक्टस, कारगिल युद्ध, 
सर्जिकल स्ट्राइक" और ऑपरेशन सिंदूर इत्यादि।
 
 भारतीय वायु सेना के पास अद्भुत एवं अद्वितीय आयुध हैं,परंतु जिनकी सार्वजनिक चर्चा होती है उन्हें ही प्रस्तुत करना उचित होगा। प्रमुख युद्धक विमान-राफेल, सुखोई-30,मिराज 2000, जगुआर, तेजस, इल्युशिन आई एल 78, बोइंग सी 17 - ग्लोब मास्टर 3 लॉकहीड मार्टिन सी - 130 जे सुपर हरक्युलिस। शेष वायुसेना के गुप्त शस्त्रों की चर्चा यहां सामरिक दृष्टि से उचित नहीं हैं। विश्व में भारत के पायलट सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। 

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्रीयुत नरेंद्र मोदी के भगीरथ प्रयास से भारतीय वायु सेना में नारी शक्ति को समान अधिकार मिला। फलस्वरूप स्क्वाड्रन लीडर वीरांगना अवनी चतुर्वेदी,  'सुखोई'  लड़ाकू विमान उड़ाकर, भारत की प्रथम महिला फाईटर पायलट बनीं, तो वहीं फ्लाईट लेफ्टिनेंट वीरांगना शिवांगी सिंह, राफेल फाईटर जेट उड़ाने वाली पहली और एकमात्र महिला पायलट बनीं। वर्तमान में भारतीय वायु सेना में 17 से अधिक वीरांगनाएं फाईटर पायलट हैं। यही तो है एक भारत, समरस भारत और श्रेष्ठ भारत की निशानी।
 
डॉ. आनंद सिंह राणा

 

 
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