जयंती विशेष : सिख गुरु रामदास जी | The Voice TV

Quote :

" सुशासन प्रशासन और जनता दोनों की जिम्मेदारी लेने की क्षमता पर निर्भर करता है " - नरेंद्र मोदी

Editor's Choice

जयंती विशेष : सिख गुरु रामदास जी

Date : 08-Oct-2025

गुरु राम दास जयंती सिख धर्म के चौथे गुरु, श्री गुरु राम दास जी की स्मृति में मनाई जाती है। यह दिन श्रद्धा, भक्ति और सेवा के प्रतीक गुरु जी के जीवन और उनके योगदान को सम्मान देने का अवसर होता है। गुरु राम दास जी ने सिख समुदाय को संगठित करने, सेवा की भावना को मजबूत करने और अमृतसर जैसे पवित्र नगर की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

गुरु राम दास जी का जन्म 9 अक्टूबर 1534 को चूना मंडी (जो अब पाकिस्तान के लाहौर में है) में हुआ था। उनका बचपन का नाम जेठा था। इनके पिता का नाम हरिदास जी और माता का नाम अनूप देवी जी था। उनका विवाह गुरु अमरदास जी की पुत्री बीबी बानो से हुआ था। उनकी सेवा, समर्पण और भक्ति को देखकर गुरु अमरदास जी ने 1 सितम्बर 1574 को उन्हें गुरु की उपाधि प्रदान की और उनका नाम राम दास रखा। वे 1 सितम्बर 1581 तक सिखों के गुरु के रूप में कार्यरत रहे।

गुरु राम दास जी ने रामदासपुर नामक नगर की स्थापना की, जो आगे चलकर अमृतसर कहलाया। उन्होंने हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) की नींव रखी और मंदिर के चारों ओर चार द्वार बनवाए, जो इस बात का प्रतीक हैं कि यह स्थान सभी धर्मों, जातियों और वर्गों के लोगों के लिए खुला है। उन्होंने लंगर की परंपरा को और मजबूत किया, जिससे समाज में समानता और सेवा का संदेश फैला। इसके अतिरिक्त, उन्होंने संतोषसर सरोवर की खुदाई का कार्य भी आरंभ करवाया।

गुरु राम दास जी के समय में ‘गुरु’ के कार्यों के लिए संगत से चंदा और दान लेना भी प्रारंभ हुआ। उन्होंने ‘लावन’ की रचना की, जो चार भजनों का एक संग्रह है और सिख विवाह समारोह में गाया जाता है। उन्होंने धार्मिक यात्राओं को बढ़ावा दिया और मिशनरी कमांड की स्थापना की, जिससे सिख धर्म का विस्तार हुआ।

गुरु राम दास जी ने लगभग 688 भजन और पदों की रचना की, जो गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं। उनका लेखन प्रेम, करुणा, सेवा और समर्पण की भावना से परिपूर्ण है। वे एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक ही नहीं, बल्कि एक समाज सुधारक भी थे, जिनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।

गुरु राम दास जयंती, जो हर वर्ष 19 अक्टूबर को मनाई जाती है, केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि उन मूल्यों की याद दिलाती है जो गुरु जी ने समाज को सिखाए। उनका जीवन और शिक्षाएं आज भी करोड़ों लोगों के लिए एक प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य करती हैं।

 
RELATED POST

Leave a reply
Click to reload image
Click on the image to reload

Advertisement









Advertisement