भारतीय वायु सेना का 93वां स्थापना दिवस आज पूरे देश में गर्व और सम्मान के साथ मनाया जा रहा है। हर साल 8 अक्टूबर को भारत में वायु सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देश उन वीर योद्धाओं को सम्मानित करता है जो आकाश में दुश्मनों से लोहा लेते हुए देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं। इस वर्ष भारतीय वायु सेना अपना 93वां स्थापना दिवस मना रही है और इस बार कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ऑपरेशन सिंदूर है।
भारतीय वायु सेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को की गई थी। तभी से हर साल इसी दिन को वायु सेना दिवस के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है। वायु सेना दिवस के आयोजन के दौरान पूरे देश में विभिन्न एयर स्टेशनों पर लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन, एयर शो और अन्य समारोह आयोजित किए जाते हैं, जो भारतीय वायुसेना की शक्ति, पराक्रम और तकनीकी क्षमताओं को दर्शाते हैं।
भारतीय वायु सेना की नींव रखने का श्रेय एयर मार्शल सुब्रोतो मुखर्जी को जाता है, जिन्हें भारतीय वायुसेना का संस्थापक माना जाता है। स्वतंत्रता के बाद वे 1 अप्रैल 1954 को भारतीय वायु सेना के पहले वायुसेना प्रमुख नियुक्त किए गए थे। उनके नेतृत्व में भारतीय वायु सेना ने नई ऊंचाइयों को छुआ और आधुनिकता की ओर कदम बढ़ाए।
वायु सेना दिवस सिर्फ सैन्य ताकत का प्रदर्शन नहीं, बल्कि यह देश की एकता, समर्पण और साहस का प्रतीक है। यह दिन युवाओं को देश सेवा के लिए प्रेरित करता है और उन्हें भारतीय सेनाओं के गौरवपूर्ण इतिहास से जोड़ता है। भारतीय वायु सेना न केवल युद्ध के समय, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं, बचाव अभियानों, शांति मिशनों और विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित लाने में भी अहम भूमिका निभाती है।
भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य है – "नभ: स्पृशं दीप्तम्", जिसका अर्थ है "गगन को छूते हुए तेजस्वी बनो"। यह श्लोक भगवद गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को विराट स्वरूप का दर्शन कराया था। यह वाक्य भारतीय वायुसेना के शौर्य, तेज और समर्पण का प्रतीक है।
इस विशेष दिन पर हम सभी को भारतीय वायुसेना के उन वीर सपूतों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए, जो अपनी जान की परवाह किए बिना राष्ट्र की सेवा में तत्पर रहते हैं। भारतीय वायुसेना का यह गौरवशाली इतिहास हर भारतीय के दिल में गर्व की भावना भर देता है।
