डिजिटल युग में, जहाँ ईमेल और त्वरित संदेश संचार पर हावी हैं, डाक सेवाएँ अभी भी ज़रूरी हैं, खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में। भारतीय डाक सेवा जैसी संस्थाएँ ऐसी कई सेवाएँ प्रदान करती हैं जो केवल मेल डिलीवरी से कहीं बढ़कर हैं, जिनमें बचत योजनाएँ, बीमा सेवाएँ और ई-कॉमर्स के लिए रसद सहायता शामिल है।
डाक, डाक विभाग का व्यापारिक नाम है जो पत्र वितरण, ग्रामीण डाक जीवन बीमा, डाक जीवन बीमा, जमा स्वीकार करना और अन्य सेवाएँ प्रदान करता है। भारतीय डाक विभाग की स्थापना और इसके योगदान को सम्मानित करने के लिए 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय डाक दिवस मनाया जाता है। यह विभाग संचार मंत्रालय के अंतर्गत आता है और भारत की सबसे पुरानी सरकारी डाक प्रणाली है। देश में 9 डाक क्षेत्र, 23 डाक मंडल और एक सेना डाकघर संचालित होते हैं। भारत के डाकघर 6 अंकों की पिन कोड प्रणाली का उपयोग करते हैं, जिसे श्रीराम भीकाजी वेलणकर ने 1972 में लागू किया था। पिन कोड के पहले अंक से क्षेत्र, दूसरे अंक से उप-क्षेत्र, तीसरे अंक से जिला और अंतिम तीन अंकों से संबंधित डाकघर का कोड निर्धारित होता है।
भारत में डाकघर पहली बार 1774 से 1793 के बीच कोलकाता, चेन्नई और मुंबई प्रेसिडेंसी में खोले गए। भारत का पहला डाक टिकट 1 जुलाई 1852 को सिंध जिले में जारी किया गया था। डाकघरों की अवधारणा 1 अक्टूबर 1854 को सामने आई, जिससे डाक सेवाएँ, बैंकिंग, जीवन बीमा, मनीऑर्डर और रिटेल सेवाओं के माध्यम से लोगों के करीब आईं। भारतीय डाक विभाग अपने 166 वर्षों के इतिहास के साथ देश के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण विभागों में से एक माना जाता है, जो आज भी अपनी उपयोगिता बनाए हुए है।
भारत में कुल छह प्रकार के डाक टिकटों का उपयोग किया जाता है। स्मारक टिकट विशेष अवसरों, व्यक्तियों या वस्तुओं को यादगार बनाने के लिए जारी किए जाते हैं। गणतंत्र के निश्चित टिकट नियमित डाक उपयोग के लिए बनाए जाते हैं। सैन्य टिकट युद्ध या शांति स्थापना के दौरान सैनिकों के संवाद के लिए जारी किए जाते हैं। लघु पत्रक छोटे संग्रह होते हैं जो किसी शीट पर चिपके रहते हैं और विभिन्न राष्ट्रीय पहचान के पहलुओं को दर्शाते हैं। से-टेनेंट टिकट एक ही प्लेट पर एक-दूसरे के बगल में छपे होते हैं, जिनके डिज़ाइन, रंग और मूल्य अलग-अलग होते हैं। माई स्टैम्प भारतीय डाक की व्यक्तिगत कस्टमाइज्ड डाक टिकट शीट है, जिसमें उपयोगकर्ता अपनी तस्वीर या पसंदीदा चित्रों के साथ टिकट बना सकते हैं।
भारतीय डाक सेवा पूरी तरह सरकारी स्वामित्व वाली प्रणाली है, जो पूरे भारत में लगभग 1,64,972 डाकघरों के माध्यम से संचालित होती है। यह संचार मंत्रालय के डाक विभाग के अधीन कार्य करता है और देश के 23 डाक सर्किलों का संचालन करता है। विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और भौगोलिक कठिनाइयों के बावजूद, भारतीय डाक सेवा पूरी लगन से अपनी जिम्मेदारियां निभाती है।
दिलचस्प बात यह है कि डाकघर केवल इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि भगवान और नदियों के नाम भी डाक भेजते हैं। भक्त अपनी मनोकामनाएँ लिखकर इन्हें कई मंदिरों में भेजते हैं। डाक विभाग के इतिहास में नोबेल पुरस्कार विजेता सी. वी. रमण, मुंशी प्रेमचंद, राजिंदर सिंह बेदी, देवानंद, नीरद सी. चौधरी, महाश्वेता देवी, दीनबंधु मित्र, डोगरी लेखक शिवनाथ, कृष्ण बिहारी नूर, कर्नल तिलकराज और विष्णु स्वरूप सक्सेना जैसे कई प्रसिद्ध व्यक्ति कर्मचारी या अधिकारी के रूप में कार्यरत रहे हैं। यह सब भारतीय डाक विभाग के गौरवशाली इतिहास का हिस्सा है।
