आज की तेज़ रफ्तार और तनावपूर्ण ज़िंदगी में मानसिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ करना गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है। मानसिक स्वास्थ्य केवल मानसिक बीमारियों से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह हमारे सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को भी प्रभावित करता है। जब हम मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा करते हैं, तो इसका असर हमारे रिश्तों, कामकाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ता है। तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएँ न केवल व्यक्ति को बल्कि उसके परिवार और सामाजिक दायरे को भी प्रभावित करती हैं। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना व्यक्ति और समाज दोनों के लिए ज़रूरी है।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पहली बार 10 अक्टूबर 1992 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ द्वारा आयोजित किया गया था। इस वैश्विक संगठन की उपस्थिति 150 से अधिक देशों में है और इस दिवस की शुरुआत रिचर्ड हंटर के प्रस्ताव पर हुई थी, जो उस समय महासंघ के उप महासचिव थे। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना, इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और सेवाओं की गुणवत्ता तथा उपलब्धता में सुधार के लिए वैश्विक प्रयासों को संगठित करना है।
यह दिन उन लोगों के लिए समर्थन और समझ को बढ़ावा देने का कार्य करता है जो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, साथ ही यह नीति-निर्माताओं और समाज को मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करता है।
भारत सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) के तृतीयक देखभाल घटक का विस्तार करते हुए देशभर में 25 उत्कृष्टता केंद्रों को मंजूरी दी गई है और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में पीजी सीटों की संख्या भी बढ़ाई गई है। इसके अलावा, 19 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य के 47 स्नातकोत्तर विभागों की क्षमता में वृद्धि की गई है, और 22 नए एम्स संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को भी शामिल किया गया है। देशभर में इस समय 47 सरकारी मानसिक अस्पताल कार्यरत हैं।
एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में, 10 अक्टूबर 2022 को राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NTMHP) की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण परामर्श और देखभाल को घर-घर तक पहुँचाना है। अब तक 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 53 टेली मानस सेल कार्य कर रहे हैं और 8 अक्टूबर 2024 तक हेल्पलाइन नंबर पर 14.5 लाख से अधिक कॉल प्राप्त की जा चुकी हैं, जिनमें समस्याओं का समाधान किया गया है।
