नानाजी देशमुख भारतीय समाज सेवा, राजनीति और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में एक अद्वितीय नाम हैं। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया और विशेष रूप से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे भारतीय जनसंघ के प्रमुख नेताओं में से एक रहे, और बाद में भारतीय जनता पार्टी के गठन में भी उनका योगदान रहा, लेकिन उनकी असली पहचान एक समाजसेवी के रूप में ही बनी।
नानाजी का जन्म 11 अक्टूबर 1916 को महाराष्ट्र के परभणी जिले में हुआ था। उनका वास्तविक नाम चंडिकादास अमृतराव देशमुख था, लेकिन वे ‘नानाजी’ नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने बचपन से ही राष्ट्र सेवा का संकल्प ले लिया था और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़कर अपना कार्य प्रारंभ किया। राजनीति में सक्रिय रहते हुए भी उन्होंने समाज सुधार, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्राम विकास जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी।
उन्होंने चित्रकूट (उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित क्षेत्र) को अपने कार्यक्षेत्र के रूप में चुना और वहां देेेेेेेश के पहले ग्रामीण विकास विश्वविद्यालय – महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका उद्देश्य था कि गांवों को स्वावलंबी बनाया जाए, ताकि वे अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को स्वयं पूरा कर सकें। नानाजी का मानना था कि केवल आर्थिक सहायता से गांवों का विकास संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए स्थानीय संसाधनों का सही उपयोग, जनभागीदारी, और सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता होती है।
उनका कार्यक्षेत्र सिर्फ उत्तर भारत तक सीमित नहीं था। महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि में उन्होंने अन्ना हज़ारे जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी प्रेरित किया और विकास के नये मापदंड स्थापित किए। उन्होंने ग्रामीण विकास के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना जैसे कई कार्यक्रमों की नींव डाली, जिनका उद्देश्य ग्राम स्वराज की भावना को साकार करना था।
नानाजी देशमुख का जीवन हमें यह सिखाता है कि राष्ट्र निर्माण सिर्फ बड़े-बड़े शहरों में नहीं, बल्कि गांव की मिट्टी से शुरू होता है। 2019 में, भारत सरकार ने उन्हें उनकी समाज सेवा और ग्रामीण विकास के कार्यों के लिए मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया, जो उनके योगदान की सच्ची सराहना थी।
नानाजी एक युगदृष्टा थे, जिन्होंने भारतीय समाज की आत्मा – गाँवों – को जगाने का कार्य किया। उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत है और उनकी कार्यशैली आज भी सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए मार्गदर्शक है।
