संसार के सभी जीवों के लिए खाद्य सामग्री उतनी ही आवश्यक है जितनी कि उनकी उपेक्षा इस विषय को मिलती है। जहाँ एक ओर करोड़ों लोग एक समय का भोजन पाने के लिए परेशान हैं, वहीं प्रत्येक व्यक्ति तक आवश्यक मात्रा में भोजन पहुँचाने के उद्देश्य से विश्व खाद्य दिवस की परंपरा शुरू हुई।
विश्व खाद्य दिवस की शुरुआत 1945 में हुई थी, जब दुनिया द्वितीय विश्व युद्ध से उबर रही थी। युद्ध के दौरान व्यापारिक मार्ग अवरुद्ध हो गए थे, जिससे खाद्य सामग्री की उपलब्धता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। इसके अलावा, एशिया और अफ्रीका के कई देशों में सूखे की स्थिति ने भुखमरी को बढ़ावा दिया। इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 16 अक्टूबर 1945 को विश्व खाद्य दिवस मनाने का निर्णय लिया और उसी दिन रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की स्थापना की गई। इस दिवस का उद्देश्य भूख, कुपोषण और गरीबी जैसी समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनके विरुद्ध सामूहिक संघर्ष को प्रोत्साहित करना था। हालांकि 1945 से 1979 तक खाद्यान्न आपूर्ति और व्यवस्था के प्रति जागरूकता बनी रही, लेकिन 'विश्व खाद्य दिवस' का व्यवस्थित आयोजन 16 अक्टूबर 1980 से शुरू हुआ।
विश्व खाद्य दिवस के प्रमुख उद्देश्य:
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कृषि और खाद्य उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना और इसे बढ़ावा देना, जिसमें शासकीय और अशासकीय संस्थाओं का सहयोग शामिल है।
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विकसित देशों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच आर्थिक तथा तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित करना।
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ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से महिलाओं और कम पदों पर कार्यरत लोगों को निर्णय लेने और सहभागिता में सक्षम बनाना।
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भूख की समस्या के प्रति विश्वव्यापी जागरूकता फैलाना।
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औद्योगिक क्षेत्रों में रेलवे के माध्यम से खाद्य सामग्री के बेहतर परिवहन को बढ़ावा देना।
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भूख, गरीबी और कुपोषण के खिलाफ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता को मजबूत करना।
सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण और पर्याप्त खाद्य उत्पादन एवं वितरण को सुनिश्चित करना इस दिवस का महत्वपूर्ण लक्ष्य है।
भूख से लड़ने के लिए नोबेल पुरस्कार:
संसार में किसी को भूख से पीड़ित नहीं होने देने के लिए प्रयास जारी हैं। इस दिशा में नोबेल पुरस्कार की भी परंपरा शुरू हुई। नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी ने 2020 में विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया, जो भूख से प्रभावित क्षेत्रों में शांति और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाता है। WFP दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संगठन है, जिसने 2019 में 88 देशों में लगभग 100 मिलियन लोगों को खाद्य सहायता प्रदान की।
संयुक्त राष्ट्र ने 2015 में भूख मुक्त विश्व के लक्ष्य के तहत एक व्यापक अभियान शुरू किया, जिसमें विभिन्न देशों की सरकारें और स्वयंसेवी संस्थाएँ शामिल हैं। 2019 में लगभग 135 मिलियन लोग खाद्य संकट का सामना कर रहे थे, जो 2014 की तुलना में अधिक था। अफ्रीका के कई हिस्सों में खाद्यान्न की कमी के कारण हिंसक संघर्ष भी हुए। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए विश्व खाद्य दिवस को भुखमरी मुक्ति के अभियान से जोड़ा गया।
विश्व खाद्य दिवस 2025 का थीम:
साल 2025 का विश्व खाद्य दिवस "Hand in Hand For Better Foods And Better Future" के थीम के साथ मनाया जाएगा। इसका मतलब है कि सभी देश मिलकर बेहतर खाद्य उत्पादन और वितरण के जरिए एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य के लिए काम कर सकते हैं।
इस प्रकार, विश्व खाद्य दिवस हमें याद दिलाता है कि सभी के लिए पर्याप्त, पौष्टिक और सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराना हमारा साझा दायित्व है।
