धनतेरस का पर्व दीपावली की शुरुआत का प्रतीक है और इसे अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन मुख्यतः समृद्धि, स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना के लिए मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन कुछ नया—विशेष रूप से बर्तन, चांदी या सोना—खरीदना शुभ होता है। यदि चांदी खरीदना संभव न हो तो किसी धातु का बर्तन जरूर खरीदना चाहिए, क्योंकि यह चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है, जो शीतलता और मानसिक संतोष का प्रतीक है।
धनतेरस का सीधा संबंध आयुर्वेदाचार्य भगवान धन्वंतरि से भी है, जो समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। अतः यह दिन धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर, श्री गणेश और *यमराज* की पूजा की जाती है। पूरे वर्ष में यही एक दिन है जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। संध्या समय यमराज के नाम पर दीपक जलाकर उन्हें नमन् किया जाता है ताकि परिवार को अकाल मृत्यु से मुक्ति मिल सके।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन घर में 13 दीपक जलाना शुभ होता है। पहला दीपक यमराज के लिए दक्षिण दिशा में, दूसरा मां लक्ष्मी के लिए, दो दीपक मुख्य द्वार पर, एक तुलसी के पास, एक छत पर और शेष घर के विभिन्न कोनों में रखे जाते हैं। यह दीपक नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से रक्षा करते हैं।
धनतेरस पर यमुना स्नान की परंपरा भी है। यदि यमुना में स्नान संभव न हो तो स्नान करते समय उनका स्मरण करना चाहिए। यमराज और यमुना को सूर्य की संतानें माना जाता है, इसलिए यमुना स्नान और दीपदान से यमराज प्रसन्न होते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन यमराज के लिए घर के मुख्य द्वार पर आटे का दीपक जलाना चाहिए, जिसे "यमदीप" कहा जाता है। स्त्रियां इस दीपक में चार बत्तियां लगाकर पूजा करती हैं और प्रार्थना करती हैं कि परिवार पर यमराज की कृपा बनी रहे।
धनतेरस की पूजा में यमराज के लिए विशेष वेदी बनाकर दीपक रखा जाता है, जिसमें रोली, चावल, मिष्ठान और दक्षिणा अर्पित की जाती है। पूजा के पश्चात यह दीपक मुख्य द्वार की दाहिनी ओर रखा जाता है।
एक लोक कथा के अनुसार, राजा हेम के पुत्र की मृत्यु विवाह के चार दिन बाद निश्चित थी। लेकिन उसकी पत्नी ने रात भर दीप जलाए और यमदूतों को रोक लिया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने धनतेरस पर दीपदान को अकाल मृत्यु से मुक्ति का उपाय बताया।
"ॐ धन्वंतराये नमः" मंत्र का जाप इस दिन विशेष रूप से स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है। यह पर्व न केवल धन की प्राप्ति, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य और पर्यावरण के संरक्षण की प्रेरणा भी देता है। अतः दीपावली पर प्रदूषण फैलाने वाले कार्यों से बचना चाहिए और पर्व की आध्यात्मिकता को समझकर मनाना चाहिए।
