हनुमान जन्मोत्सव हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण उत्सव है। हनुमान गुणवत्ता और जीवन शक्ति की छवि है। कहा जाता है कि हनुमान स्वेच्छा से किसी भी रूप को धारण करने की क्षमता रखते हैं, चट्टानों का उपयोग करते हैं, पहाड़ों को हिला सकते हैं, हवा में छलांग लगा सकते हैं,और उड़ान में गरुड़ के समान वेगवान हैं। वे सामाजिक मान्यताओं में अलौकिक शक्तियों के साथ दिव्यता प्रदान करने वाले और दुर्भावनापूर्ण आत्माओं को जीतने वाले के रूप में पूजनीय हैं। जहां एक ओर हनुमान जन्मोत्सव के दिन हनुमान जी की विधिवत पूजा की जाती है तो वहीं एक धार्मिक मत यह कहता है कि हनुमान जन्मोत्सव मनाने से हनुमान जी का अपमान होता है।
जयंती और जन्मोत्सव का क्या अर्थ है?
जयंती और जन्मोत्सव का अर्थ भले ही जन्मदिन से होता है। लेकिन जयंती का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है, जो संसार में जीवित नहीं है और किसी विशेष तिथि में उसका जन्मदिन है। लेकिन जब बात हो भगवान हनुमान की तो इन्हें कलयुग संसार का जीवित या जागृत देवता माना गया है |
इसी अंतर को सरल शब्दों में समझाएं तो जयंती उनकी मनाई जाती है जो इस पृथ्वी पर आए और फिर शरीर त्याग कर मृत्यु को प्राप्त हो गए। वहीं, जन्मदिन उनका मनाया जाता है जो पृथ्वी पर जन्में और अभी भी जीवित हैं। यह सामान्य रूप से आपके और हमारे घरों में मनाया जाने वाला पर्व है तो हम अपने या अपने बच्चों की खुशी में मनाते हैं।
अब आती है बारी जन्मोत्सव की, तो बता दें कि जन्मोत्सव उनका मनाया जाता है जो अवतरित हुए और अपने अवतरण का कार्य पूर्ण कर अपने धाम लौट गए लेकिन इनका पृथ्वी पर आना और पृथ्वी से जाना दोनों ही ईश्वरीय घटना हो। इसी कारण से श्री कृष्ण के जन्म दिवस को जन्माष्टमी और राम जी के जन्म दिवस को राम नवमी के रूप में जाना जाता है नाकि जयंती के तौर पर क्योंकि यह दोनों भगवान विष्णु के अवतार हैं। ठीक इसी प्रकार हनुमान जी भी भगवान शिव के 11वें अवतार माने जाते हैं। साथ ही, वह अजर और अमर हैं। उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं। एस एमें ईश्वर तत्व होने और आज भी पृथ्वी पर वास करने के कारण उनका जन्मोत्सव मनाया जाना चाहिए न कि जयंती।
हनुमान जन्मोत्सव क्यों मनाई जाती है-
भगवान श्री हनुमान को भक्ति प्रेम के लिए भी जाना जाता है भगवान राम के प्रति हनुमान की भक्ति तो सर्वविदित है।
हनुमान जी को इनके अथाह बल और साहसिक कार्यों के लिए जाना जाता है, कहते है कि उनकी भुजाओं में असीमित बल था परंतु इतने शक्तिशाली होने के बाद भी वह बेहद ही शांत स्वभाव के थे। इनकी विचारधारा के मूल में केवल भक्ति, इमानदारी, और सच्चाई ही है।
श्री हनुमान को संकट मोचन भी कहा जाता है जिसका अर्थ यह है कि वह अपने भक्तों के सभी संकट, कष्ट को दूर कर देते हैं। वे अपने भक्तों को शक्ति और साहस का आशी्वाद देते है।
श्री बजरंग बलि की पूजा से भक्तों को आध्यात्मिक तौर पर शक्ति प्राप्त होती है जिनसे वे कठिन समय में भी खुद को शांत रखकर उस कठिन समय को पार कर लेते है। वैसे तो इनके भक्तों का जीवन सुख भरा ही होता है, और हनुमान जयंती का यह दिन भक्तों को आध्यात्मिक तौर पर अपने ईष्ट से जुड़ने का मौका देता है, इस दिन भक्त अपने सुखी जीवन व सभी बाधाओं से मुक्त रहने की कामना करते है।
हनुमान जी के 12 नाम -
1. हनुमान
2. वायुपुत्र
3. महाबल
4. रामेष्ट
5. अंजनीसुत
6. उदधिक्रमण
7. सीताशोकविनाशन
8. लक्षमणप्राणदाता
9. दशग्रीवदर्पहा
10. फाल्गुनसखा
11. पिंगाक्ष
12. अमितविक्रम