भगवान हर जगह नहीं हो सकता है, और इसलिए उसने माँ को बनाया
एक मां का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। एक मां का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, एक मां के बिना ये दुनियां अधूरी है
हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मातृ दिवस मनाया जाता है। करीब 111 साल से यह परंपरा चल रही है। इस दिन की शुरुआत एना जार्विस ने की थी। उन्होंने यह दिन अपनी मां को समर्पित किया और इसकी तारीख इस तरह चुनी कि वह उनकी मां की पुण्यतिथि 9 मई के आसपास ही पड़े।
मातृ दिवस की शुरुआत एना जार्विस की मां एन रीव्स जार्विस करना चाहती थीं। उनका मकसद मांओं के लिए एक ऐसे दिन की शुरुआत करना था, जिस दिन अतुलनीय प्रेम के लिए मांओं को सम्मानित किया जाए। हालांकि, 1905 में एन रीव्स जार्विस की मौत हो गई और उनका सपना पूरा करने की जिम्मेदारी उनकी बेटी एना जार्विस ने उठा ली। हालांकि, एना ने इस दिन की थीम में थोड़ा बदलाव किया। उन्होंने कहा कि इस दिन लोग अपनी मां के त्याग को याद करें और उसकी सराहना करें। लोगों को उनका यह विचार इतना पसंद आया कि इसे हाथोंहाथ ले लिया गया और एन रीव्स के निधन के तीन साल बाद यानी 1908 में पहली बार मातृ दिवस मनाया गया।
मातृ दिवस का विरोध करने लगीं एना
दुनिया में जब पहली बार मदर्स डे मनाया गया तो एना जार्विस एक तरह से इसकी पोस्टर गर्ल थीं। उन्होंने उस दिन अपनी मां के पसंदीदा सफेद कार्नेशन फूल महिलाओं को बांटे, जिन्हें चलन में ही ले लिया गया। इन फूलों का व्यवसायीकरण इस कदर बढ़ा कि आने वाले वर्षों में मातृ दिवस पर सफेद कार्नेशन फूलों की एक तरह से कालाबाजारी होने लगी। लोग ऊंचे से ऊंचे दामों पर इन्हें खरीदने लगे। यह देखकर एना भड़क गईं और उन्होंने इस दिन को खत्म करने की मुहिम शुरू कर दी।
एना की मुहिम?
मातृ दिवस पर सफेद कार्नेशन फूलों की बिक्री के बाद टॉफी, चॉकलेट और तमाम तरह के गिफ्ट भी चलन में आने लगे। ऐसे में एना ने लोगों को फटकारा भी। उन्होंने कहा कि लोगों ने अपने लालच के लिए बाजारीकरण करके इस दिन की अहमियत ही घटा दी। साल 1920 में तो उन्होंने लोगों से फूल न खरीदने की अपील भी की। एना अपने आखिरी वक्त तक इस दिन को खत्म करने की मुहिम में लगी रहीं। उन्होंने इसके लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी और 1948 के आसपास एना इस दुनिया को अलविदा कह गईं।
जिस प्रकार माँ के लिए उसकी संतान अमूल्य होता है उसी प्रकार एक संतान के लिए उसकी माँ अमूल्य होती है जिसका कोई मोल नहीं होता माँ का मातृत्व न केवल अपनी संतान के लिए होता है बल्कि वह दूसरों की संतान के लिए भी होता है पर लोग अब से माँ के मातृत्व की तुलना उपहारो से करने लगे है एवं व्यापार भी करने लगे है जो की एक प्रकार से मातृत्व को ठेस पहुंचाना है | एक माँ के लिए उसकी संतान का केवल कुशल होना अनमोल उपहार है| मातृत्व का जश्न मनाने के लिए एक दिन पर्याप्त नहीं है और हमें अपनी माताओं पर अपना प्यार बरसाने के लिए हर दिन को मदर्स डे जितना खास बनाना चाहिए। हमें उन सभी छोटी-छोटी बातों को स्वीकार करना चाहिए जो हमारी माताएँ प्रतिदिन हमारे लिए करती हैं। एक मां के लिए अपने बच्चों के प्यार और सम्मान से बढ़कर कोई दूसरा तोहफा नहीं हो सकता।
माँ वह है जो अन्य सभी की जगह ले सकती है, लेकिन एक माँ की जगह कोई और नहीं ले सकता।-