संघ कार्य 304 वाँ वर्ष पार करके 305 वें वर्ष में चल रहा है।यह हर साल शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इसे सबसे पहले 1925 में आरएसएस की स्थापना के बाद मनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को हिन्दू साम्राज्य, संस्कृति, सभ्यता और सौहार्द के प्रति जागरूक करना है। इसके बारे में आरएसएस का मत है कि जिस दिन महान योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ, उस दिन से हिंदू साम्राज्य की पुनर्स्थापना हुई है। ऐसे में उन विचारों का पुनः स्मरण करना चाहिए जिनके आधार पर संघ के विभिन्न कार्यक्रमों का निर्माण हुआ है। क्योंकि समय के साथ पुनःस्मरण नहीं करते रहने पर कई जानकारियां लुप्त हो जाती है। यह मानव का स्वभाव है।
इतिहास के अनुसार, मध्यकालीन भारत के 6 शताब्दी में गुप्त वंश के पतन के बाद पुष्यभूति वंश का उदय हुआ, जिसके संस्थापक पुष्यभूति थे। इनके वंश में अनेकों वीर योद्धा पैदा हुए, जिन्होंने पुष्यभूति वंश के विजयी पताका को उत्तर से दक्षिण तक फहराया। इस वंश के अंतिम शासक हर्षवर्धन थे। जिन्हें अंतिम हिन्दू सम्राट बताया गया है। इनकी मृत्यु के पश्चात हिन्दू साम्राज्य का पतन हो गया। इनका शासन स्थान वर्तमान में थानेश्वर है, जिसे कालांतर में थानेसर कहा जाता था। हर्षवर्धन प्रारंभ में शिव भक्त थे, लेकिन जीवन के अंतिम समय में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। आधुनिक भारत में छत्रपति शिवाजी महाराज का उदय हुआ। इन्होंने हिन्दू सम्राज्य को पुनः स्थापित किया।
राज्याभिषेक
सन 1674 में ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था। राज्याभिषेक के पश्चात कुछ ही वर्षों में ऐसी परिस्थिति उत्पन्न की कि सारे विदेशी आक्रांताओं को राजस्थान छोडना पडा। इसलिए संघ में इस दिन को शिवसाम्राज्य दिन नहीं बल्कि हिंदू साम्राज्य दिवस कहा जाता है। डॉक्टर साहब कहा करते थे कि हमारा आदर्श तो तत्व है, भगवा ध्वज है, लेकिन कई बार सामान्य व्यक्ति को निर्गुण निराकार समझ में नहीं आता। उस को सगुण साकार स्वरूप चाहिये और व्यक्ति के रूप में सगुण आदर्श के नाते छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का प्रत्येक अंश हमारे लिये दिग्दर्शक है। उस चरित्र की, उस नीति की, उस कुशलता की, उस उद्देश्य के पवित्रता की आज आवश्यकता है। इसीलिए संघ ने इस ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को, शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के दिन को हिंदू साम्राज्य दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया था।
छत्रपति शिवाजी महाराज के अनमोल विचार
1. "एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद मे विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।"
2. "जब हौसले बुलन्द हो, तो पहाड़ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।"
3. "शत्रु को कमजोर न समझो, तो अत्यधिक बलिष्ठ समझ कर डरना भी नही चाहिए।"
4. "जब लक्ष्य जीत की हो, तो हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम, कोई भी मूल्य , क्यो न हो उसे चुकाना ही पड़ता है।"
5. "जो मनुष्य समय के कुचक्र मे भी पूरी शिद्दत से अपने कार्यो मे लगा रहता है। उसके लिए समय खुद बदल जाता है।"
6. "शत्रु चाहे कितना ही बलवान क्यो न हो, उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र से भी परास्त किया जा सकता है।"