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प्राचीन काल में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों औषधी - गिलोय

Date : 24-Feb-2023

प्राचीन काल में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का उपयोग कर कई बीमारियों को दूर किया जाता था। समय के साथ-साथ साइंस में भी बदलाव हुआ, लेकिन आज भी जरूरत पड़ने पर कुछ मामलों में जड़ी बूटियों का सहारा लिया जाता है। इनमें से एक जड़ी बूटी है गिलोय। भले ही कई लोग इसके बारे में न जानते हों, लेकिन गिलोय के फायदे अनेक हैं। गिलोय के औषधीय गुण किस तरह स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव करते हैं

गिलोय क्‍या है?

गिलोय एक बेल है, जो मुख्य रूप से जंगलों, खेतों की मेड़ों और पहाड़ों की चट्टानों पर पाई जाती है। इसकी तासीर गर्म होती है। इसके फल मटर के बीज जैसे दिखते हैं। इसका तना हरा और देखने में किसी रस्सी-सा लगता है। गर्मी के दिनों में इसपर छोटे पीले फूल लगते हैं, जो नर पौधे में गुच्छे के रूप में और मादा में अकेले मौजूद होते हैं। यही कारण है कि नर और मादा के रूप में गिलोय की पहचान इसके फूलों को देखकर की जाती है। गिलोय की पत्तियां प्रोटीन, कैल्शियम व फास्फोरस से भरपूर होती हैं, इसलिए गिलोय के पत्ते के फायदे भी कई हैं ।

गिलोय का वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया है। इसकी बेल कई बीमारियों को अकेले ही ठीक करने की अद्भुत क्षमता रखती है, इसलिए इसे अमृता (अमृत के समान) के नाम से भी जाना जाता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह जिस भी पेड़ से लिपटकर बढ़ती है, उस पेड़ के कई औषधीय गुण गिलोय के औषधीय गुण में समाहित हो जाते हैं। इसी कारण नीम के पेड़ पर मौजूद गिलोय की बेल को लाभकारी और सबसे बेहतर माना जाता है।

गिलोय के फायदे 

1. प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाए

प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से व्यक्ति बीमारी की चपेट में जल्दी आ जाता है। ऐसे में गिलोय का सेवन लाभकारी साबित हो सकता है। बताया जाता है कि गिलोय के औषधीय गुण में से एक इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव भी है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद कर सकता है । इस आधार पर माना जा सकता है कि गिलोय के लाभ प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी हैं। प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में गिलोय जूस के फायदे ज्यादा देखे जाते हैं।

2. क्रोनिक फीवर को करे ठीक

क्रोनिक फीवर यानी पुराने बुखार में भी गिलोय के लाभ होते हैं। इसके लिए गिलोय के तने और पत्तियों को इस्तेमाल में लाएं। इनमें एंटीपायरेटिक यानी बुखार को ठीक करने वाला और एंटी-मलेरियल यानी मलेरिया इंफेक्शन को दूर करने वाला प्रभाव होता है। यही नहीं, गिलोय जूस के फायदे क्रोनिक कफ यानी पुरानी खांसी को ठीक करने में भी देखे जा सकते हैं। इसके लिए गिलोय के पत्ते के फायदे हो सकते हैं। लाभ पाने के लिए गिलोय की पत्तियों का रस या काढ़ा बनाकर उसे शहद के साथ बुखार होने पर ले सकते हैं।

3. पाचन शक्ति बढ़ाए

गिलोय के फायदे पाचन शक्ति को दुरुस्त रखने में देखे जा सकते हैं। जी हां, गिलोय के औषधीय गुण में से एक यह भी है कि इससे पाचन संबंधी कई समस्याओं जैसे कि डायरिया और दस्त से उबरने में मदद मिल सकती है । इस आधार पर यह माना जा सकता है कि पाचन तंत्र को मजबूत करने में भी गिलोय का उपयोग सहायक साबित हो सकता है। पाचन शक्ति को बढ़ाए रखने में सबसे अधिक गिलोय जूस के फायदे देखे जाते हैं।

4. डायबिटीज को करे नियंत्रित

डायबिटीज की समस्या में भी गिलोय के फायदे हो सकते हैं। इसके लिए गिलोय में मौजूद एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक यानी ब्लड शुगर को कम करने वाले प्रभाव को फायदेमंद माना जाता है । यही कारण है कि यह शरीर में इंसुलिन की सक्रियता को बढ़ाकर ब्लड शुगर को नियंत्रित कर सकता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि गिलोय जूस के फायदे डायबिटीज में भी हो सकते हैं। 

5. डेंगू से बचाव में सहायक

गिलोय को औषधीय गुणों का भंडार माना जाता है। इसमें कई ऐसे रसायन होते हैं, जिनके कारण यह इम्यूनोमॉड्यूलेटरी प्रभाव प्रदर्शित करता है। यह प्रभाव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता देता है। इन बीमारियों में मलेरिया और डेंगू जैसे वायरल इंफेक्शन भी शामिल हैं । इस कारण डेंगू की समस्या से राहत पाने में गिलोय के फायदे बताए जा सकते हैं।

6. अस्थमा की समस्या में सहायक

अस्थमा की समस्या में राहत पाने के लिए भी गिलोय के लाभ हो सकते हैं। माना जाता है कि इसमें शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ श्वास संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा के लक्षणों को कम करने की भी प्रबल क्षमता मौजूद होती है। इसके लिए गिलाय के तने के जूस को शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल में ला सकते हैं ।

 
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