वज्रासन संपूर्ण पाचन प्रणाली की कार्य कुशलता को बढ़ा देता है। यह आसन अपच को दूर करता है। यह आसन आमाशय, गर्भाशय की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है। इसके अलावा वज्रासन हर्निया से बचाव भी करता है। यह जानकारी डाॅ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के योगाचार्य ओम नारायण अवस्थी ने दी।
योगाचार्य ओम नारायण अवस्थी ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि वज्रासन महिलाओं को शिशु जन्म में सहायक है। साइटिका और रीढ के निचले भाग की गड़बड़ी से ग्रस्त लोगों के लिए यह एकमात्र ध्यान का आसान है। उन्होंने बताया कि वज्रासन का अभ्यास जितना संभव हो, उतने समय तक कर सकते हैं। भोजन के पश्चात कम से कम पांच मिनट के लिए इसका अभ्यास पाचन क्रिया को तीव्र करता है।
अनुलोम विलोम, प्राणायाम, कपालभाति जैसे कई आसन वज्रासन में बैठकर किये जा सकते हैं। इस आसन को करने से मन शांत होता है और एक जगह पर ध्यान लगाने में आसानी होती है। इस योगासन की प्रमुख बात यह है कि इसमें यह नियम लागू नहीं होता कि इसे खाली पेट ही करना है। जो अक्सर बाकी आसनों के लिए माना जाता है। यह आसन आपके पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है। इसलिए खाने के बाद, उसे पचाने के लिए पांच से दस मिनट इस आसन में बैठना चाहिए।
ओमनारायण ने बताया कि इस बार नौवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का थीम है "हर घर आंगन योग" । इसलिए योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनायें और स्वस्थ जीवन जिएं।