श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में तीन दिवसीय कठपुतली महोत्सव का रंगारंग शुभारंभ हुआ, जिसमें दक्षिण एशिया की समृद्ध और विविध कठपुतली परंपराओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया। इस आयोजन का उद्घाटन श्रीलंका के बुद्धशासन, धार्मिक एवं सांस्कृतिक मामलों के मंत्री प्रो. हिनिदुमा सुनील सेनेवी ने किया।
उद्घाटन समारोह में मंत्री सेनेवी ने इस महोत्सव को क्षेत्रीय एकता और उस पारंपरिक कला के प्रति सम्मान का प्रतीक बताया, जो सदियों से जनता की आवाज़ रही है। उन्होंने कहा कि कठपुतली केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद और सांस्कृतिक समझ का एक सशक्त माध्यम है।
सार्क सांस्कृतिक केंद्र द्वारा आयोजित इस महोत्सव का उद्देश्य कठपुतली कला को सामाजिक जागरूकता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के मंच के रूप में उजागर करना है। कार्यक्रम में परंपरा और नवाचार का सुंदर मेल देखने को मिला।
भारत का प्रतिनिधित्व कोलकाता के प्रसिद्ध डॉल्स थिएटर ने किया, जिसने अपनी विशिष्ट शैली में प्रदर्शन प्रस्तुत किया। श्रीलंका और बांग्लादेश से आए मंडलों ने भी अपनी-अपनी पारंपरिक कथाओं और प्रस्तुति शैलियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
महोत्सव के पहले दिन से ही दक्षिण एशिया की कहानी कहने की पुरातन परंपरा और समकालीन सामाजिक मुद्दों पर संवाद की एक सांस्कृतिक यात्रा का आरंभ हुआ, जो आने वाले दो दिनों में और भी समृद्ध होगी।