भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (NIE) द्वारा किए गए हालिया अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि भारत में HIV संक्रमण का बोझ अभी भी गंभीर बना हुआ है, विशेषकर दक्षिण भारतीय राज्यों में। अनुमान है कि 2023 में भारत में लगभग 25.44 लाख लोग HIV से संक्रमित थे, जिनमें से लगभग 24% मामले केवल कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना से सामने आए।
दक्षिण भारत में चिंताजनक आंकड़े:
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कर्नाटक: 2.80 लाख PLHIV (People Living with HIV)
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तमिलनाडु: 1.69 लाख
- तेलंगाना: 1.58 लाख
इन राज्यों से संबंधित 54 जिलों को उच्च प्राथमिकता वाले जिले के रूप में चिन्हित किया गया है।
राष्ट्रीय परिदृश्य:
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2023 में अनुमानित नए HIV संक्रमण: 68,450
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कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना से आने वाले वार्षिक नए संक्रमण: 11.5%
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HIV के वर्टिकल ट्रांसमिशन (माँ से शिशु को) को रोकने के लिए 19,960 गर्भवती महिलाओं को सेवाओं की आवश्यकता रही, जिसमें से 17 जिले कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना से हैं।
यह अध्ययन 2030 तक एड्स समाप्त करने के राष्ट्रीय लक्ष्य के लिए आवश्यक रणनीतिक हस्तक्षेपों की दिशा में मार्गदर्शन करता है। रिपोर्ट यह भी इंगित करती है कि 54 उच्च प्राथमिकता वाले जिले देशभर के PLHIV का 77%, नए संक्रमणों का 43%, और EVTH (Elimination of Vertical Transmission of HIV) सेवाओं की 65% जरूरतों को दर्शाते हैं।
निगरानी प्रणाली की दिशा में नई पहल
तमिलनाडु में ICMR ने एक एकीकृत इन्फ्लूएंजा निगरानी परियोजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य COVID-19, मानव इन्फ्लूएंजा, और अन्य श्वसन वायरस के लिए मजबूत और सतत निगरानी तंत्र तैयार करना है।
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निगरानी जिले: कोयंबटूर, मदुरै, सलेम और तिरुवरूर
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यह प्रणाली अखिल भारतीय वायरोलॉजिकल और जीनोमिक निगरानी से जुड़ी हुई है।
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भविष्य में SARS-CoV-2 और इन्फ्लूएंजा के साथ-साथ अन्य 9 श्वसन वायरस की पहचान और निगरानी को शामिल किया जाएगा।
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तमिलनाडु के सभी 38 जिलों में जिला निगरानी इकाइयों से एक-एक हितधारक को महामारी विज्ञान डेटा विश्लेषण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
यह रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि HIV की रोकथाम, निदान और उपचार रणनीतियों को क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर पुनर्संरेखित करना आवश्यक है। इसके साथ ही, श्वसन वायरस की निगरानी जैसी पहलें सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा ढांचे को और मज़बूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
2030 तक एड्स उन्मूलन के लक्ष्य और उभरती बीमारियों के लिए तैयार भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए यह अध्ययन एक रणनीतिक दिशा प्रदान करता है।