भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने व्यक्तिगत उधारकर्ताओं के लिए फ्लोटिंग रेट (चर ब्याज दर) वाले ऋणों पर पूर्व-भुगतान या फुल पेमेंट पर कोई शुल्क वसूलने पर रोक लगा दी है। यह फैसला गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए लिए गए ऋणों पर लागू होगा और 2025 से प्रभावी होगा।
प्रमुख बातें:
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यह प्रतिबंध वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होगा, लेकिन भुगतान बैंकों, सहकारी बैंकों, NBFCs और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों पर नहीं।
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पूर्ण या आंशिक पुनर्भुगतान, धन के स्रोत या सह-दायित्वकर्ताओं की उपस्थिति—इन सभी स्थितियों में यह छूट लागू होगी।
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इसमें दोहरी दर (dual-rate) या विशेष दर (special rate) वाले ऋण भी शामिल होंगे, बशर्ते कि वे फ्लोटिंग दर पर रीपेमेंट के समय हों।
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कोई न्यूनतम लॉक-इन अवधि की आवश्यकता नहीं होगी।
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जिन ऋणों पर यह नियम लागू नहीं है, उनके लिए पूर्व-भुगतान शुल्क का स्पष्ट उल्लेख ऋण प्रस्ताव पत्र, ऋण अनुबंध और “की फैक्ट्स स्टेटमेंट” में अनिवार्य होगा।
उद्देश्य:
RBI का यह कदम निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करता है:
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उधारकर्ताओं के अधिकारों की रक्षा
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ऋण लेने वालों को बेहतर ब्याज दरों पर लोन ट्रांसफर (स्विच) करने की स्वतंत्रता
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गैर-पारदर्शी और अनुचित शर्तों को खत्म करना
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प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देना
पृष्ठभूमि:
कुछ ऋणदाता ऐसी शर्तें लगा रहे थे जिनके कारण उधारकर्ता बेहतर ब्याज दरों वाले विकल्पों में स्विच नहीं कर पा रहे थे। नया निर्देश ऐसी प्रतिबंधात्मक प्रथाओं को खत्म करने के लिए लाया गया है।
RBI का यह फैसला उधारकर्ताओं के लिए एक बड़ी राहत है और बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता व प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करेगा। इससे लाखों उपभोक्ताओं को लाभ होगा जो वर्तमान में फ्लोटिंग रेट पर पर्सनल लोन चुका रहे हैं या भविष्य में लेने की योजना बना रहे हैं।